गोपी कृष्ण कुंवर, लोहरदगा.
उम्र सिर्फ एक संख्या है. इस बात को साबित कर रहे हैं लोहरदगा शहर के छत्तर बगीचा निवासी 78 वर्षीय सेवा-निवृत्त शिक्षक मनोहर नाथ देवघरिया, जो प्रतिदिन 10 से 12 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं. रिटायरमेंट के बाद जहाँ अधिकांश लोग आरामतलबी को जीवनशैली बना लेते हैं, वहीं मनोहर देवघरिया आज भी पूरी ऊर्जा और अनुशासन के साथ सक्रिय जीवन जी रहे हैं. उनके पास लग्जरी कार, मोटरसाइकिल और स्कूटी जैसी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन उनका पहला और अब तक का प्यार है- साइकिल. पूर्व शिक्षक रहे मनोहर नाथ देवघरिया ने 31 जनवरी 2008 को सेवा-निवृत्त होने के बाद भी सादा जीवन और अनुशासन नहीं छोड़ा. वे बताते हैं कि जीवन जितना सादा होगा, तनाव उतना ही आधा होगा. उन्होंने 1956 में पहली बार साइकिल चलायी. हालांकि वह उनकी अपनी नहीं थी. उनके शौक को देखकर उनके पिता ने 1958 में ₹300 में एक साइकिल खरीदकर दी, और उसी दिन उनके घर में उत्सव जैसा माहौल था. नयी साइकिल की उन्होंने काली मंदिर में पूजा करवायी और आज तक उसका महत्व उनके जीवन में बना हुआ है. लोग उन्हें प्यार से साइकिल मैन कहते हैं. लोहरदगा में वे एक प्रेरणा बन चुके हैं. उनका मानना है कि साइकिल चलाने से न केवल शरीर फिट रहता है, बल्कि मन भी प्रसन्न और तनावमुक्त रहता है. वे युवाओं और बुजुर्गों दोनों को नियमित रूप से साइकिल चलाने की सलाह देते हैं. उनके अनुसार, साइकिल चलाने से शरीर का हर अंग सक्रिय रहता है और पूरा व्यायाम हो जाता है, जो दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है.
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