कुड़ू प्रखंड में आठ करोड़ की लागत से बनी ग्रामीण जलापूर्ति योजना बीते दो वर्षों से ठप पड़ी हुई है. मशीन में तकनीकी खराबी और संचालन समिति का गठन नहीं होने से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी है. नतीजा यह है कि तीन पंचायतों के लगभग पांच हजार लोग शुद्ध पेयजल के लिए आज भी तरस रहे हैं. कुड़ू ग्रामीण जलापूर्ति योजना को वर्ष 2014-15 में स्वीकृति दी गयी थी. इस योजना पर लगभग आठ करोड़ पचास लाख रुपये खर्च हुए. निर्माण कार्य आदित्य अरव देव कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया था. योजना के तहत दक्षिण कोयल नदी में इंटेक वेल, दोबा बरटोली के पास पंप हाउस, फिल्टर प्लांट, जलमीनार और 41 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाकर 2100 घरों को पानी कनेक्शन देने का लक्ष्य था. हालांकि, योजना के अंतर्गत केवल 1400 घरों में ही कनेक्शन दिया गया और कई जगह पाइपलाइन के लिए तोड़ी गयी पीसीसी सड़क की मरम्मत नहीं की गयी. पाइपलाइन के क्षतिग्रस्त होने और कई जगह पाइप फटने से आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो गयी है. नेशनल हाइवे 39 और 143 ए के किनारे नाली निर्माण के दौरान पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गयी जिसे अब तक दुरुस्त नहीं किया गया. शहरी क्षेत्र के रामनगर, बाजारटांड़, बटमटोली, जामड़ी, नावाटोली, डोरोटोली, जामुनटोला, हाताटोली और टाटी पंचायत के दोबा, पंडरा पंचायत के माराडीह तक पाइपलाइन बिछायी गयी थी, लेकिन अब यह निष्क्रिय हो चुकी है. वर्तमान स्थिति यह है कि योजना का संचालन करने वाली ग्राम पेयजल स्वच्छता समिति का गठन ही नहीं हो पाया है और कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. लोग कुएं और नालियों का दूषित पानी पीने को मजबूर : कुड़ू की चंचला देवी, संजय कुमार तिलका, रवि कुमार, निरंजन पासवान और ओमप्रकाश कुमार ने बताया कि योजना बंद होने से लोगों को कुएं और नालियों का दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है. पूर्व विधायक, सांसद और विभागीय अधिकारियों से कई बार शिकायत की गयी, लेकिन केवल आश्वासन ही मिला. बरसात के बाद काम शुरू होगा : जेइ : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता मो सरफराज ने बताया कि तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए प्राक्कलन तैयार कर भेजा गया है. समिति का गठन नहीं होने से संचालन में बाधा है. बरसात के बाद काम शुरू किया जायेगा.
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