लोहरदगा. बाक्साइट नगरी के नाम से जाना जाने वाला लोहरदगा जिला की अजब गजब कहानी है. धरती के अंदर के खनिजों के संरक्षण के लिए यहां तैनात एक अधिकारी बाडीगार्ड को लेकर चर्चा में हैं. जब साहब की यहां पोस्टिंग हुई थी तो वे सत्य हरिश्चन्द्र के बताये मार्ग पर चलते थे लेकिन बाक्साइट नगरी की माया ने उनके आर्दश को बदल दिया. वे यहां के रंग में रंग गए और उनके आर्दश कागजों के गांधी हो गए. स्वभाविक है जब आर्थिक समृद्धि आती है तो साथ में भय भी आता है. उन्होंने अनमोल जीवन का हवाला देकर एक बाडीगार्ड ले लिया. अब साहब के आगे पिछे शस्त्र धारी बाडीगार्ड चलता है. पहले साहब नदी नाला,जंगल पहाड़, बाक्साइट डंपिंग याड,ईंट भट्ठा सहित अन्य जगहों पर कभी कभार नजर आते थे लेकिन जब से समृद्धि और बाडीगार्ड आया तब से साहब क्षेत्र में नहीं नजर आते हैं. मिटिंग और कार्यालय में ही इतने व्यस्त रहते हैं कि क्षेत्र भ्रमण का मौका ही नहीं मिलता है. नतीजा सामने है जंगलों को काटकर लाल सोना धडल्ले से बगैर माप तौल और बगैर लिखा पढ़ी के साइडिंग मे बेखौफ पहुंच रहा है.तेजी से पत्थर तोडे जा रहे हैं.बगैर कागजात के ईंट भट्ठा संचालित हो रहे हैं. नदियों का बालू सडकों के किनारे नजर आ रहा है. बाडीगार्ड साहब को मिला और बेखौफ हो गए बाक्साइट और बालू माफिया.लेकिन साहब बाडीगार्ड के संरक्षण में चैन की निंद सो रहे हैं जो लिखा है वो तो मिलेगा ही चाहे कुछ भी हो जाए.अभी जिले में बंडी वाले राजाबाबू की चर्चा हर तरफ है.
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