लोहरदगा़ जिले में जैसे-जैसे किसानों का बिचड़ा तैयार हो रहा है, वैसे-वैसे खेतों में रौनक लौटने लगी है. सुबह होते ही किसान खेतों की ओर रुख कर रहे हैं और रोपनी की तैयारियों में जुट गये हैं. जिन किसानों का बिचड़ा पूरी तरह तैयार हो चुका है, वे रोपनी शुरू कर चुके हैं. वहीं, जिनका बिचड़ा अभी तैयार नहीं हुआ है, वे खेतों की मेड़ बांधने और पानी जमा करने में लगे हैं. लगातार बारिश होने से किसान पहले मायूस थे, लेकिन अब मौसम अनुकूल होते ही खेतों में हलचल बढ़ गयी है. तीन नंबर के खेतों में लगाये गये हाइब्रिड बिचड़े अब रोपने लायक हो गये हैं. हाइब्रिड धान का बिचड़ा लगभग 21 से 25 दिनों में तैयार हो जाता है. किसानों का कहना है कि अगर रोपनी में देर हो जाये तो ठंड के कारण उपज पर असर पड़ता है, इसलिए समय पर रोपनी करना जरूरी है. खेतों में अब महिलाओं की पारंपरिक गीतों की गूंज सुनाई देने लगी है. महिलाएं रोपनी करते हुए गीत गाकर किसानों को उत्साहित कर रही हैं. खेतों में ट्रैक्टर व अन्य साधनों से काम तेजी से हो रहा है. अधिकांश किसान अब वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर उन्नत बीज और खाद का उपयोग कर रहे हैं जिससे उत्पादन में वृद्धि हो रही है. कृषि वैज्ञानिक हेमंत पांडे ने किसानों को सलाह दी है कि 15 अगस्त तक रोपनी का समय धान की फसल के लिए सबसे अनुकूल है. जिनका बिचड़ा तैयार नहीं है, वे खेत तैयार रखें और बिचड़ा होते ही रोपनी शुरू कर दें. वैज्ञानिक विधि व समय पर रोपनी करने से उत्पादकता में कोई कमी नहीं आयेगी.
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