किस्को. प्रखंड क्षेत्र के छोटचोरगाई गांव में पिछले दो महीने से खराब पड़ी जलमीनार के कारण ग्रामीणों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र के समीप पंचायत द्वारा लगभग दो साल पहले बनायी गयी यह जलमीनार अब मात्र एक शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है, जिससे लगभग 100 से अधिक घरों के लोग प्रभावित हैं. सुबह होते ही महिलाएं एक किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाने के लिए मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जलमीनार खराब होने की सूचना स्थानीय मुखिया, जिला स्तर के अधिकारियों और प्रखंड अधिकारियों को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक किसी ने भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है. जल सहिया से लेकर विभागीय अधिकारियों तक कई बार सूचना देने के बावजूद मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हुआ है. ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक और विभाग की मनमानी के कारण घर-घर नल से जल पहुंचाने का सरकारी दावा भी फिसड्डी साबित हो रहा है. सरकार स्वच्छ और सुलभ पेयजल के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन छोटचोरगाई के ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. सुनीता देवी, सरोज कुजूर, कुरूसमानी उरांव, हीरू उरांव, गंगो, दिनेश, भागीरथ, राजेश पहन, भिनसरिया, सुनीता उरांव, पंचम, पुराण, सबिता, सुमित्रा, बिलाश, जिर्मनिया, लक्ष्मी उरांव, भागीरथ उरांव, शिवशंकर टाना भगत और अन्य ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द जलमीनार और जल नल योजना को दुरुस्त करने की मांग की है, ताकि उन्हें पेयजल संकट से निजात मिल सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है