किस्को़ जिले के किस्को प्रखंड अंतर्गत हिसरी पंचायत के बड़चोरगाई और छोटचोरगाई गांव की महिलाएं लाह की खेती से जुड़कर बेहतर आमदनी कमा रहीं हैं. गांव के सौ से अधिक महिला-पुरुष किसान लाह की खेती कर रहे हैं. इससे प्रेरित होकर हर वर्ष लाह उत्पादन से जुड़ने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है. किसानों ने बताया कि लाह की पहली पैदावार के बाद उसे पुनः कुसुम के पेड़ों में बांधा जाता है. इस दौरान जो लाह पेड़ से झड़ता है, उसकी बिक्री से किसान एक लाख रुपये तक की आमदनी कर लेते हैं. बाद में पेड़ पर बांधे गये लाह में कीड़ा लगने पर उसे खोला जाता है और उसकी बिक्री भी लाखों रुपये में होती है. लाह की बिक्री सीधे व्यापारियों को की जाती है, जो इसे प्रति किलो 980 रुपये की दर से खरीदते हैं. महिला और पुरुष किसान लाह की खेती को बड़े पैमाने पर अपनाकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. ग्रामीणों का मानना है कि लाह की खेती भविष्य में पलायन रोकने में भी कारगर साबित होगी. यह खेती कम मेहनत वाली है और लोग घर के कामों के साथ ही अतिरिक्त समय में इसे कर पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि यह खेती आम के आम, गुठली के दाम जैसी है, क्योंकि बीज के रूप में उपयोग किये गये लाह की भी बिक्री की जाती है.
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