रांची : डीएवी गांधीनगर पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों को समर कैंप के दौरान योगाभ्यास स्वामी मुक्तरथ ने कराया. उन्होंने योग के कई रहस्यमय बातों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिसमें प्रतिभा तो होती है पर वो अंदर ही दबी पड़ी रहती है, उसका विकास नहीं हो पाता है. जिस वजह से बच्चे बहुत अच्छा नहीं कर पाते हैं. वहीं अपने लक्ष्य से दूर हो जाते हैं. दूसरे तरफ कुछ चंचल मन वाले बच्चे होते हैं जो अपने विषय में फोकस नहीं कर पाते हैं औऱ एकाग्रचित नहीं होने के कारण रिजल्ट में बेहतर नहीं कर पाते हैं. भारतवर्ष में सदियों से योग पर बल दिया जाता रहा है और बच्चों का उपनयन संस्कार भी योग साधनाओं से ही सम्पन्न एक विधि है. सूर्यनमस्कार, नाड़ी शोधन, प्राणायाम और गायत्री मंत्र इस उपनयन संस्कार की मूल साधना है. जिसको सीखकर बच्चे शारीरिक औऱ मानसिक रूप से बलवान होते थे. उनकी एकग्रता की क्षमता विकसित होती थी और सामाजिक रूप से बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास होता था. यह सब योग का ही परिणाम था. योग शारीरिक व्यायाम नहीं है,यह साधनात्मक मानसिक तप है जो दबी पड़ी कुंठित संस्कारों को उजागर करता है. सुस्त प्रवृति वाले बच्चे को मानसिक रूप से सक्रिय बनाता है और अति चंचल मन वाले बच्चों के दिमाग को शांत करता है. प्राचार्य पीके झा ने कहा कि वर्तमान समय में योग की बहुत जरूरत है. योग के अभाव में कम उम्र में ही कई प्रकार की समस्याएं आने लगी है और वैचारिक रूप से व्यक्ति बीमार हो रहे हैं.
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