गिद्दी में रखा गया पार्थिव शरीर, अंतिम संस्कार आज प्रतिनिधि, गिद्दी मजदूर नेता मिथिलेश सिंह मजदूरों के बीच काफी लोकप्रिय थे. वह जुझारू नेता के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने लगभग पांच दशक तक इस इलाके में संगठित व असंगठित मजदूरों की राजनीति की और लाल झंडे को बुलंद रखा. वह मजदूरों के लिए आंदोलन से कभी पीछे नहीं हटते थे. वह हमेशा मजदूरों के हितों के लिए खड़ा रहते थे. मजदूरों के सवाल को लेकर 90 के दशक में रामगढ़ के प्रसिद्ध उद्योगपति रामचंद्र रूंगटा के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोला था और उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी थी. हालांकि, इस आंदोलन के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. उस आंदोलन को लोग आज भी याद करते हैं. गिद्दी वाशरी परियोजना में 80 व 90 के दशक में असंगठित मजदूरों को लेकर कई लंबी लड़ाई लड़ी गयी थी. उस लड़ाई में मजदूरों को जीत मिली थी. इसके फलस्वरूप सीसीएल प्रबंधन ने सैकड़ों मजदूरों को स्थायीकरण किया था. यह आंदोलन आज भी मजदूरों के जेहन में है. इसके अलावा संगठित व असंगठित मजदूरों के सवाल को लेकर उन्होंने इस इलाके में कई लड़ाई लड़ी थी. वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान जब वह जेल गये थे, तब वहां पर उनकी मुलाकात पूर्व सांसद एके राय से हुई थी. उनके साथ जेल में इस इलाके के चर्चित वामपंथी नेता रामलखन सिंह भी थे. एके राय के सान्निध्य में रहकर वह लाल झंडे की राजनीति से प्रभावित हुए. जब वह जेल से रिहा हुए, तो लाल झंडे की राजनीति खुल कर करने लगे. मजदूर आंदोलन के लिए कई बार गये थे जेल : धनबाद में पूर्व सांसद एके राय और गिद्दी में मिथिलेश सिंह को मासस के मजबूत नेता के रूप में लोग जानते थे. उन्होंने गिद्दी क्षेत्र में संगठन को काफी मजबूत किया, जो आज भी कायम है. वह मजदूर आंदोलन के लिए कई बार जेल गये थे. उनके निधन से वामपंथी व मजदूर आंदोलन को राजनीतिक क्षति पहुंची है. वह शुक्रवार को सुबह 10 बजे गिद्दी से प्राइम अस्पताल कैथा, रामगढ़ में डायलिसिस कराने के लिए निकले थे. रांची रोड में अपने परिजन विजय सिंह से मुलाकात की. इसके बाद वह कैथा जाने के लिए निकले. इसी दौरान उनका निधन हो गया. उन्हें वृंदावन अस्पताल ले जाया गया. यहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया. उनका पार्थिव शरीर गिद्दी स्थित आवास में रखा गया है. उनके आवास में लोगों की भीड़ जुटी हुई है. 12 जुलाई को दिन के दो बजे गिद्दी दामोदर नद के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. विस चुनाव लड़े थे मिथिलेश सिंह : मिथिलेश सिंह मांडू व बड़कागांव विधानसभा से चुनाव भी लड़े थे. उन्हें अपेक्षित मत मिले थे. मांडू के विधानसभा चुनाव में गिद्दी क्षेत्र के लोगों ने उनके पक्ष में जम कर मतदान किया था. मिथिलेश सिंह को सरकार ने जेपी आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित किया था. हजारीबाग की पूर्व उपायुक्त नैंसी सहाय ने उन्हें स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया था. आंदोलनकारियों को जो लाभ है, उन्हें मिल रहा था. गिद्दी में भाकपा माले विधायक ने दी श्रद्धांजलि : मजदूर नेता मिथिलेश सिंह के निधन की खबर पाकर भाकपा माले के विधायक अरूप चटर्जी व पूर्व विधायक विनोद सिंह गिद्दी पहुंचे. निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि उनके निधन से मजदूर व वामपंथी आंदोलन को राजनीतिक क्षति पहुंची है. उधर, मांडू के पूर्व विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने मजदूर नेता चंद्रशेखर दुबे व मिथिलेश सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है. झामुमो के वरिष्ठ नेता राजकुमार महतो व प्रखंड अध्यक्ष लखनलाल महतो ने मजदूर नेता चंद्रशेखर दुबे व मिथिलेश सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उधर, भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य आनंद महतो, हलधर महतो, बैजनाथ मिस्त्री, आरडी मांडी, देवचंद महतो, पच्चू राणा, धनेश्वर तुरी, राजेंद्र गोप, बसंत कुमार, सुंदरलाल बेदिया, गौतम बनर्जी अशोक गुप्ता, अजीत प्रजापति, शंभु कुमार, दशरथ करमाली, राजकुमार लाल ने भी शोक व्यक्त किया है. मजदूर नेता शशिभूषण सिंह, अरुण कुमार सिंह, भाकपा के प्रदेश सचिव महेंद्र पाठक, नेमन यादव, डॉ. आशीष कुमार, लोकेश सोनी, मो सुभान ने भी शोक व्यक्त किया है. राजपूताना परिवार ने शोक व्यक्त किया : राजपूताना परिवार गिद्दी जोन ने मजदूर नेता मिथिलेश सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है. शोक व्यक्त करने वालों में विजय सिंह, उदय सिंह, विकास सिंह, मधुसूदन सिंह, राजबल्लभ सिंह, प्रवीण सिंह, राजेश सिंह, बिंदेश्वरी सिंह, राजा राम सिंह, मनोज सिंह, मदन सिंह, सुनील कुमार सिंह, रंजीत सिंह, धर्मेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, चंदन सिंह, अरविंद सिंह, अजय सिंह, दिलीप सिंह, राजू रंजन सिंह, चंद्रशेखर सिंह, कुंदन सिंह शामिल हैं.
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