न्यू बिरसा के विस्थापित कार्यालय के समीप प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन
सुरेंद्र प्रसाद, उरीमारी.
प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन न्यू बिरसा के विस्थापित कार्यालय के समीप किया गया. कार्यक्रम में जुटे क्षेत्र के 12 टोला के ग्रामीणों ने अपनी बातों को रखा. लोगों ने कहा कि 1996 में सीसीएल की न्यू बिरसा परियोजना को खोलने के लिए 990 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. 2013 में परियोजना शुरू हुई. अब तक करीब दो सौ लोगों को नौकरी मिली है. शेष लोग आज भी नौकरी व पुनर्वास के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. बरटोला पुनर्वास स्थल पर सीसीएल ने आज तक सभी लोगों को पुनर्वास की सुविधा नहीं दी है. मजबूरी में लोग आज भी अपने जगह पर रहने को विवश हैं. खदानों में होने वाली ब्लास्टिंग से उड़ने वाले पत्थर इनके घरों पर गिरते रहता है. इससे ग्रामीण चोटिल होते रहते हैं. इस पुनर्वास स्थल पर सुविधाओं का अभाव है. बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क की समस्या से लोग घिरे हैं. करीब चार वर्ष पहले यहां एक जलमीनार, तो बना दी गयी, लेकिन उसे चालू नहीं किया गया है. आसपास के कोयला डिपो में लगी आग के कारण उठ रहे धुएं से लोग परेशान हैं. ग्रामीण समीप में बने सीएचपी साइलो साइडिंग से होनेवाले प्रदूषण से भी प्रभावित हैं. लोगों का कहना था कि क्षेत्र में आनेवाली आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार नहीं मिला. उलटे प्रदूषण की समस्या और बढ़ गयी है. लोगों ने कहा कि पूरे बरका-सयाल क्षेत्र में सबसे ज्यादा कोयला न्यू बिरसा परियोजना से ही निकाला जाता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि यहीं के लोग सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.
आधा-अधूरा पुनर्वास मिला : सोनाराम : बरटोला के सोनाराम मांझी ने कहा कि विस्थापितों को आधा-अधूरा पुनर्वास मिला है. पुनर्वास स्थल पर बिजली का तार जर्जर है. इससे हमेशा खतरा रहता है. खेल मैदान की सुविधा भी नहीं है. मोबाइल टावर नहीं है. इससे संपर्क में परेशानी होती है. ऑनलाइन कार्य करना संभव नहीं हो पाता है.नहीं मिली है स्वास्थ्य सुविधा : गणेश : आरआर साइड के गणेश गंझू ने कहा कि अब तक पुनर्वास स्थल पर पंचायत भवन नहीं बना है. कंपनी ने अब तक जमीन नहीं दी है. स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. बीमार होने पर भुरकुंडा, रामगढ़ व रांची जाना पड़ता है. यहां सड़क का काम भी अधूरा है. प्रबंधन ने मैरेज हॉल व क्लब निर्माण का वादा भी नहीं निभाया.
लोगों को गुमराह कर रहा सीसीएल : सूरज : जोजो टोला के सूरज बेसरा ने कहा कि जमीन अधिग्रहण हुए करीब 30 वर्ष हो गये हैं, लेकिन प्रबंधन ने अब तक सैकड़ों लोगों को जमीन के बदले नौकरी-मुआवजा व पुनर्वास नहीं दिया है. लोग अपने अधिकार के लिए भटक रहे हैं. सीसीएल ने लोगों को गुमराह करने का काम किया है. विस्थापित प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया है.
रोड सेल में नहीं मिल रहा कोयला : संजय : करमाली टोला के संजय करमाली ने कहा कि विस्थापितों ने अपनी पूरी जमीन दे दी. प्रबंधन ने रोजगार के लिए रोड सेल खोला. इसमें रोजना सौ गाड़ी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. प्रतिदिन केवल 10 गाड़ी मिल रहा है. इससे रोजगार नहीं मिल पा रहा है. हमलोगों के लिए रोजगार का बड़ा साधन रोड सेल है. रोजगार के अभाव में लोग पलायन कर रहे हैं.
गैस रिसाव से बीमार हो रहे लोग : सहदेव. गैरा टोला के सहदेव ने कहा कि सीसीएल बुनियादी सुविधा देने में भी नाकाम है. पुनर्वास की सुविधा नहीं मिली है. घर के समीप खदान का मलवा डंप किया जाता है. गैस का रिसाव होने से लोग बीमार पड़ रहे हैं.
ब्लास्टिंग के पत्थर से घायल हो रहे लोग : मुंशी. डेड़का टोला के मुंशी मांझी ने कहा कि घर से खदान की दूरी करीब 50 मीटर है. डर के साये में जीवन बीत रहा है. प्रबंधन मनमाने ढंग से ब्लास्टिंग करता है. कई बार ब्लास्टिंग से उड़ने वाले पत्थर से लोग घायल हो चुके हैं. मुआवजा नहीं मिलने के कारण अभी तक हमलोग यहीं पर रहने को मजबूर हैं.आने-जाने का नहीं है रास्ता : अजय. करमाटीला निवासी अजय मरांडी ने कहा कि हमलोगों के आने-जाने का रास्ता खदान के कारण बंद हो गया है. जैसे-तैसे घर पहुंचते हैं. प्रबंधन से रास्ते की मांग कई बार की जा चुकी है. गांव में नाम मात्र की बिजली मिलती है. मूलभूत सुविधाएं नदारद है.
नहीं हुई है घरों की मापी : विजय : रस्का टोला निवासी विजय ने कहा कि कोलियरी का विस्तारीकरण तो हो गया है, लेकिन हमारे घरों की मापी नहीं हुई है. सीएचपी साइलो साइडिंग के प्रदूषण से हमलोग परेशान रहते हैं. प्रदूषण नियंत्रण का कोई उपाय प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है