तीनपहाड़. ईसाई समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला पर्व ईस्टर संडे शनिवार की रात को मुंडली चर्च में मनाया गया. ईसाइयों का मानना है कि क्रूस पर चढ़ाने के बाद प्रभु यीशु की मृत्यु हो जाती है. फिर वे जी उठते हैं. उस दिन शनिवार की मध्य रात्रि करीब 2:30 बज रहा था. ईसाइयों द्वारा ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है. मानना है कि ईश्वर के पुत्र के रूप में प्रभु का पुनर्जन्म हुआ. वे धरती पर हो रहे पाप को खत्म करने और सच्चाई को कायम करने के लिए ही धरती पर आये थे. प्रभु लोगों को संदेश देते थे कि आपस में प्रेम करो. मुंडली चर्च में फादर दीपक तिर्की द्वारा मिस्सा पूजा की गयी. बाइबल का पाठ पढ़ा गया. लोगों ने प्रभु के बताये मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. इसाई समुदाय के लोगों ने अपने घरों से गुजरे लोग जो इस दुनिया में नहीं है, उनके कब्र पर मोमबत्ती जलाया गया और प्रार्थना की गयी. इसमें हाथीगढ़, कल्यानचक, अयोधया, सगड़भंगा में भी ईसाई समुदाय के लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम में फादर मारियानुस लकड़ा, फादर कीस्टोफर एक्का, फादर सुमित कुल्लू, फादर चार्ल्स टुडू आदि मौजूद थे.
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