साहिबगंज. ईसाई समुदाय के लिए ईस्टर संडे का दिन सबसे खास माना जाता है. उक्त बातें कैथोलिक चर्च के फादर मथियस हेंब्रम ने रविवार को सुबह नौ बजे ईस्टर संडे के अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के बाद तीसरे दिन वे जीवित हो उठे थे. क्रूस पर यीशु की मृत्यु के बाद तीसरे दिन सुबह जब उनके शिष्य और दो महिलाएं कब्र पर पहुंचीं, तो देखा कि कब्र का द्वार खुला है. उनका पार्थिव शरीर अंदर नहीं था. जब वे उसे खोज रहे थे, तो दोनों महिलाओं ने यीशु को देखा और सबको बताया कि प्रभु यीशु जीवित हो गये हैं. उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु का जीवित होना, मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक है. यह त्योहार. प्रभु यीशु ने मृत्यु के तीसरे जीवित होने हमारे लिए अनंत जीवन का मार्ग तैयार कर दिया. इससे हम विश्वास कर अनंत जीवन में प्रवेश कर सकें. उन्होंने कहा कि ईस्टर संडे के अहले सुबह जिले में कई स्थानों पर ईसाई की कब्रगाह में प्रभु यीशु के पुनरुत्थान का उत्सव मनाया. मौके पर अहले सुबह से ही साहिबगंज, बोरियो, तालझारी , धरमपुर, बरहेट सहित अन्य स्थानों में स्थित कब्रगाहों पर लोगों ने प्रभु यीशु की याद में अपने परिजनों के कब्र में फूल चढ़ाये व मोमबत्ती जलाये. ईस्टर संडे पर गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. मृत्यु से जी उठने वाले यीशु ने पहला शब्द कहा था शालोम, जिसका अर्थ है शांति. कहा गया कि आज के दिन ही प्रभु ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गये थे. इसी उपलक्ष में आज ईस्टर संडे मनाया जाता है. ईस्टर संडे के मौके पर शनिवार की देर शाम को ही प्रभु ईसा मसीह के आगमन के इंतजार में प्रार्थना सभा शुरू हो गयी. ईसा मसीह अपने शिष्यों के लिए ही वापस आये और 40 दिन तक उनके बीच जाकर उपदेश देते रहे. इस अवसर पर फादर अंब्रूश फादर मिलकी, फादर टोम, जॉन बेसरा सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे.
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