प्रभात खास: राजमहल के 14 वार्डों में 5500 घरों में पेयजलापूर्ति करने की है योजना गंगा किनारे का प्यासा शहर: राजमहल की जलापूर्ति योजना अधर में, उम्मीदें सूख रहीं दीप, राजमहल. गंगा नदी की गोद में बसा यह ऐतिहासिक शहर, जहां से वर्षों से जल जीवन की धारा बहती रही है, आज खुद प्यासा है. राजमहल शहरी जलापूर्ति योजना, जिसे वर्ष 2018 में 30.16 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था, सात वर्षों बाद भी अधूरी है. लोग आज भी टकटकी लगाए देख रहे हैं कि कब यह महत्वाकांक्षी योजना पूरी होगी और कब घर-घर पानी पहुंचेगा. नगर विकास विभाग की देखरेख में जुडको द्वारा उर्मिला आरसीपी कंस्ट्रक्शन एजेंसी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. समझौते के मुताबिक योजना को 30 जून 2022 तक पूर्ण कर लेना था, लेकिन रेलवे और एनएचआई से समय पर एनओसी नहीं मिलने से परियोजना रुक गई. बाद में मार्च 2023 तक समय सीमा बढ़ाई गई और एनओसी भी मिल गई — लेकिन फिर भी, जुलाई 2025 तक योजना अधूरी ही रह गई. 18 किलोमीटर लंबी मुख्य पाइपलाइन में से अब तक महज 7 से 8 किलोमीटर ही बिछाई जा सकी है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि वार्ड संख्या 1 से 14 तक 5500 घरों में जो जलापूर्ति का सपना दिखाया गया था, वहां अभी तक घर-घर कनेक्शन शुरू नहीं हो पाया है. 123 घरों में वैध कनेक्शन, 50 सार्वजनिक जल बिंदु फिलहाल नगर पंचायत कार्यालय के अनुसार, सिर्फ 123 घरों को वैध जल कनेक्शन मिल पाया है. सड़क किनारे 50 सार्वजनिक पॉइंट बनाए गए हैं, जिनसे आम लोग किसी तरह अपनी प्यास बुझा रहे हैं. लेकिन गर्मियों में जब कई वार्ड ड्राई जोन बन जाते हैं, तब हालात और भी भयावह हो जाते हैं. विकास की प्रतीक्षा में मोहल्ले और वार्ड वार्ड संख्या 12, 13, 14 और वार्ड संख्या 2 के मोहल्लों, वार्ड संख्या 4 के नयाबस्ती जैसे क्षेत्रों में पुराने कनेक्शन तक मौजूद नहीं हैं. लोग बाल्टियों और बर्तनों के साथ पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. नगर पंचायत कार्यालय कहता है कि नई योजना के क्रियान्वयन के बाद ही छूटे हुए वार्डों में कनेक्शन दिए जाएंगे — लेकिन यह “बाद ” कब आएगा, इसका कोई जवाब नहीं है. गंगा का पानी दूसरे जिले में, लेकिन यहां नहीं! यह विडंबना ही है कि राजमहल और साहिबगंज से गंगा का पानी पाइपलाइन के माध्यम से दूसरे जिलों में पहुंचाया जा रहा है, लेकिन गंगा किनारे बसे इस शहर को ही इसका लाभ नहीं मिल पा रहा. यह स्थिति स्थानीय नागरिकों के बीच असंतोष और निराशा की बड़ी वजह बन गई है. जल कनेक्शन महंगा, पर सुविधा अधूरी घरेलू कनेक्शन के लिए 1000 स्क्वायर फीट तक ₹7000 का शुल्क तय है, और इससे अधिक क्षेत्रफल पर अतिरिक्त राशि देनी होती है. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए यह दर ₹2600 प्रति स्क्वायर फीट निर्धारित की गई है. लेकिन जब जल आपूर्ति ही सुनिश्चित नहीं हो पाई है, तब यह शुल्क नागरिकों के लिए एक और बोझ जैसा महसूस होता है. आज जरूरत इस बात की है कि इस अधर में लटकी योजना को शीघ्रता से जमीन पर उतारा जाए. नागरिकों को केवल आश्वासन नहीं, बल्कि घरों में बहता साफ पानी चाहिए — क्योंकि गंगा किनारे बसने के बावजूद अगर प्यास ही नियति बन जाए, तो यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय भी है. क्या कहते हैं विधायक मुझे सूचना मिली है कि कुछ वर्षों से राजमहल शहरी जलापूर्ति योजना का कार्य बंद है. जिस कारण शहर के लोगों को पेयजलापूर्ति योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जनहित में लोगों को इस योजना का लाभ मिले. इसके लिए नगर विकास विभाग से वार्ता की जाएगी साथ ही विधानसभा मानसून सत्र में भी मामले को उठाया जाएगा. एजेंसी के माध्यम से योजना में विलंब एवं लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी. मो ताजउद्दीन उर्फ एमटी राजा, विधायक, राजमहल कहती हैं नपं प्रशासक राजमहल शहरी जलापूर्ति योजना जो जुडको की एजेंसी उर्मिला आरसीपी कंस्ट्रक्शन के माध्यम से की जा रही थी योजना पूर्ण होने की तिथि खत्म हुए बहुत समय बीत गए हैं बावजूद योजना पूर्ण नहीं हुई है. इसकी सूचना विभाग एवं वरीय पदाधिकारी को दी गई है ताकि योजना का क्रियान्वयन हो सके. स्मिता किरण, नपं प्रशासक, राजमहल
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