Basic Education Department: बेसिक शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र में ऐसे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलय करने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है. विशेषकर ऐसे स्कूल जिनमें कुल नामांकन 50 से कम है, उन्हें पास के किसी अच्छे और संसाधनयुक्त स्कूल में जोड़ा जा रहा है. इस कदम का उद्देश्य है कि छात्रों को बेहतर शैक्षिक माहौल, योग्य शिक्षकों का मार्गदर्शन और मूलभूत संसाधनों की बेहतर उपलब्धता मिल सके.
स्मार्ट क्लास और ICT लैब की राह होगी आसान
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी स्कूल को आइसीटी लैब, स्मार्ट क्लास जैसी डिजिटल सुविधाएं तभी मिल सकती हैं, जब वहां कम से कम 75 विद्यार्थी नामांकित हों. ऐसे में छोटे और सीमित संसाधन वाले स्कूलों का बड़े विद्यालयों में विलय करना एक दूरदर्शी कदम है. इससे डिजिटल शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता दोनों में सुधार आएगा, जो नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप है.
बाल वाटिकाओं के रूप में होगा खाली भवनों का उपयोग
शासन की ‘पेयरिंग नीति’ के तहत जिन स्कूल भवनों को बंद किया जाएगा, उन्हें फेंकने या बेकार छोड़ने के बजाय ‘बाल वाटिका’ के रूप में पुनः विकसित किया जाएगा. इन बाल वाटिकाओं में 3 से 6 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का संचालन किया जाएगा. इससे इन भवनों का पुनः उपयोग सुनिश्चित होगा और बच्चों को शुरुआती उम्र में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव मिलेगी.
बाल वाटिकाओं को मिलेगा नया रूप और नई सोच
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत प्रारंभिक बाल्यकाल शिक्षा (ECCE) को विशेष महत्व दिया गया है. पिछले साल राज्य सरकार ने 10,000 ईसीसीई एजुकेटर्स की नियुक्ति की थी और इस साल भी इतने ही नए शिक्षकों को इन बाल वाटिकाओं में तैनात किया जाएगा. बच्चों को चाइल्ड फ्रेंडली फर्नीचर, रंग-बिरंगे कक्ष, आउटडोर खेल सामग्री, और आयु अनुसार गतिविधियों वाली कार्यपुस्तिकाएं दी जाएंगी. इन प्रयासों से बाल वाटिकाएं एक समृद्ध शिक्षण केंद्र के रूप में विकसित होंगी.
कुछ संगठनों ने जताई आपत्ति, विभाग ने दी सफाई
हालांकि इस योजना को लेकर कुछ शिक्षक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है. उनका मानना है कि गांवों में स्कूलों का विलय बच्चों की स्कूल तक पहुंच को प्रभावित कर सकता है, खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां परिवहन की सुविधाएं सीमित हैं. वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिलों से अब तक इस नीति को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं. अधिकारियों का दावा है कि विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया सोच-समझकर और स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर की जा रही है.
रिपोर्ट जल्द आएगी सामने, योजना की समीक्षा जारी
गुरुवार को विभागीय अधिकारियों की बैठक में योजना की प्रगति और क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा की गई. सभी जिलों से ऐसे स्कूलों की सूची मंगाई गई है जो मर्ज किए जा सकते हैं. विभाग का कहना है कि अगले तीन से चार दिनों में सभी जिलों की रिपोर्ट प्राप्त कर ली जाएगी और उसके आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. विभाग का जोर इस बात पर है कि बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता से कोई समझौता न हो और उन्हें हरसंभव बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.
छोटे स्कूलों के विलय और बाल वाटिकाओं के विस्तार का यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है. जहां एक ओर बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाएगा, वहीं दूसरी ओर परित्यक्त भवनों का भी रचनात्मक उपयोग सुनिश्चित होगा. हालांकि इस प्रक्रिया की निगरानी और ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी सफलता सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा.