CM Yogi: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. प्रदेश सरकार एक नई स्वास्थ्य नीति लाने जा रही है, जिसका मकसद न सिर्फ शहरी बल्कि ग्रामीण इलाकों तक उन्नत चिकित्सा सेवाएं पहुंचाना है. इस नीति के जरिए सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी, जिससे अधिक से अधिक आधुनिक अस्पताल, क्लिनिक और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो सके.
स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत आधार देने की योजना
नई नीति के तहत सरकार की कोशिश है कि छोटे शहरों और गांवों के लोगों को इलाज के लिए बड़े शहरों की ओर न भागना पड़े. यह नीति अगले पांच सालों तक प्रभावी रहेगी और इसके माध्यम से प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत आधार देने की योजना है. माना जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में पेश कर सकती है, जिससे इसे आधिकारिक मंजूरी मिल सके. सरकार का मानना है कि यदि हर स्तर पर मजबूत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं, तो प्रदेश में गंभीर बीमारियों से समय रहते निपटना संभव हो सकेगा.
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नागरिक को बेहतर जीवन देना सरकार का उद्देश्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें प्रदेश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने पर जोर दिया गया. बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि एक नई स्वास्थ्य नीति पर काम चल रहा है, जिसे मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दे दी है. सीएम योगी ने स्पष्ट कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल बीमारियों का इलाज कराना नहीं, बल्कि हर नागरिक को बेहतर और स्वस्थ जीवन प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं हर व्यक्ति का अधिकार हैं, और इसे सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है.
उपलब्ध कराई जाएंगी ये सुविधाएं
नई हेल्थ पॉलिसी के तहत सरकार निजी क्षेत्र को भी स्वास्थ्य सेवाओं में साझेदार बनाएगी. इसका उद्देश्य नवाचार, निवेश और समावेशन को बढ़ावा देना है. इस नीति के माध्यम से प्रदेश के हर जिले में सुपर-स्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधाएं, जैसे कि न्यूरोसर्जरी, कार्डियोलॉजी और ऑन्कोलॉजी जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. साथ ही निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जैसी सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा, जिससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को उच्चस्तरीय इलाज की सुविधा आसानी से मिल सके. मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह परिवर्तनात्मक कदम प्रदेश को ‘स्वस्थ यूपी’ की दिशा में ले जाएगा.
तीन मॉडर पर आधारित होगी नई स्वास्थ्य नीति
योगी सरकार की प्रस्तावित नई स्वास्थ्य नीति तीन स्तरों- मॉडल ए, बी और सी पर आधारित होगी, जिसका मकसद शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाओं का समग्र विस्तार करना है.
मॉडल ए
इस मॉडल के तहत प्रदेश के 17 नगर निगम क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिनमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी शामिल हैं. इन क्षेत्रों में न्यूनतम 200 बिस्तरों वाले कम से कम तीन सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित किए जाएंगे. निजी निवेश को प्रोत्साहित कर ऐसे अस्पतालों में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, रेडिएशन, ऑन्कोलॉजी, प्रसूति एवं स्त्री रोग जैसी उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
मॉडल बी
इस मॉडल के तहत राज्य के 57 जिला मुख्यालयों पर 200 बिस्तरों वाले आधुनिक अस्पतालों की स्थापना की जाएगी. इन अस्पतालों में भी मॉडल ए के अंतर्गत मिलने वाली सभी प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी, जिससे जिला स्तर पर ही गंभीर और जटिल बीमारियों का इलाज संभव हो सकेगा.
मॉडल सी
प्रदेश के सभी 75 जिलों के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए मॉडल सी के अंतर्गत 100 बिस्तरों वाले अस्पताल खोले जाएंगे. यहां पर प्राथमिक रूप से जनरल मेडिसिन, सामान्य सर्जरी, प्रसूति एवं स्त्री रोग जैसी आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
इस त्रिस्तरीय मॉडल के जरिए राज्य सरकार शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच की खाई को पाटने के साथ ही हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण इलाज सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है.
युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर
योगी सरकार की नई स्वास्थ्य नीति के तहत निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण रियायतें और सुविधाएं दी जाएंगी. इसके जरिए राज्य में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे. नई नीति के तहत अस्पतालों की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र को भूमि खरीद पर स्टांप ड्यूटी में 100 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी. इसके अलावा, बिजली कनेक्शन में प्राथमिकता और अनुमोदन (एनओसी) की प्रक्रिया को सरल व त्वरित बनाया जाएगा, जिससे निवेशकों को परियोजनाओं को शीघ्र शुरू करने में आसानी हो.
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