Electricity Privatization Protest: उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में बुधवार को बिजली कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया. निजीकरण के प्रस्तावित फैसले को जनविरोधी बताते हुए कर्मचारियों ने उपकेंद्रों और कार्यालयों के बाहर एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया. प्रदर्शन के ज़रिए कर्मचारियों ने यह संदेश दिया कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो आंदोलन और तेज होगा.
27 लाख बिजलीकर्मी एकजुट, निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देशभर में करीब 27 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने सांकेतिक हड़ताल की. यह अब तक का सबसे बड़ा एकदिवसीय विरोध रहा, जिसमें सभी राज्यों के कर्मचारी अपने-अपने कार्यस्थलों से बाहर आकर निजीकरण के खिलाफ लामबंद हुए. उन्होंने सरकार से इस जनविरोधी नीति को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की.
यूपी के एक लाख बिजलीकर्मी सड़कों पर उतरे
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ राज्य के लगभग एक लाख बिजलीकर्मी, संविदा कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और वरिष्ठ अभियंता प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने अपने कार्यस्थलों से बाहर निकलकर उपकेंद्रों और कार्यालय परिसरों में जोरदार नारेबाजी की और सरकार को चेताया कि यदि यह निर्णय लागू हुआ तो प्रदेश में बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
बिजली नेताओं की दो टूक– फैसला वापस लो वरना होगा देशव्यापी आंदोलन
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे समेत कई बड़े संगठनों ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण की योजना को वापस नहीं लिया गया, तो देश के तमाम बिजलीकर्मी चुप नहीं बैठेंगे. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ चेतावनी है, अगर उत्पीड़न हुआ या मांगें नहीं मानी गईं तो देशभर में व्यापक हड़ताल की जाएगी.
केंद्र व राज्य सरकारों की ‘जन विरोधी’ नीति का विरोध
बिजली कर्मचारियों के संगठनों का कहना है कि सरकारें निजी हाथों में बिजली व्यवस्था सौंपकर जनता को मंहगी बिजली और असुरक्षित भविष्य की ओर धकेल रही हैं. उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार का विद्युत मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को रद्द कराने में निर्णायक भूमिका निभाए और देशभर में बिजली व्यवस्था को सुरक्षित रखा जाए.
कर्मचारी बोले, निजीकरण लागू हुआ तो पूर्ण हड़ताल करेंगे
बिजली कर्मचारियों ने एलान किया है कि यदि सरकार निजीकरण को जबरन लागू करती है तो यह सांकेतिक हड़ताल जल्द ही पूर्ण कार्य बहिष्कार में बदल जाएगी. उन्होंने चेतावनी दी कि बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी सरकार की होगी, क्योंकि कर्मचारी अपने हक और सार्वजनिक हित में किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.