Gorakhpur News: गोरखपुर पीएसी सेंटर में ट्रेनिंग के लिए आईं 600 महिला सिपाहियों को उस वक्त गहरा झटका लगा, जब उन्हें बताया गया कि ट्रेनिंग से पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट अनिवार्य होगा. डीआईजी रोहन पी कनय द्वारा जारी इस आदेश ने पूरे पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया. महिला रिक्रूट्स ने इसे अपनी निजता का खुला उल्लंघन बताते हुए विरोध शुरू कर दिया.
भड़कीं महिला सिपाही, आंखों में आंसू लेकर किया प्रदर्शन
टेस्ट के आदेश के बाद महिला सिपाहियों का गुस्सा फूट पड़ा. बिजली, पानी, नहाने और रहने की बुरी हालत के बीच जबरन मेडिकल जांच के नाम पर निजी जीवन में दखल को लेकर वे फूट-फूटकर रो पड़ीं और खुलकर विरोध दर्ज कराया.
आदेश रद्द, लेकिन गुस्सा शांत नहीं
मामला बढ़ने पर आईजी चंद्र प्रकाश ने प्रेग्नेंसी टेस्ट का आदेश रद्द किया और नई गाइडलाइन जारी की अब गर्भवती सिपाही खुद बैच बदलवाने की मांग कर सकती हैं. हालांकि महिला सिपाहियों में नाराजगी तब भी बनी रही, क्योंकि यह आदेश पहले ही उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा चुका था.
खुले में नहाने और बाथरूम में कैमरे का आरोप
महिला रिक्रूट्स ने बताया कि सेंटर में 250 की व्यवस्था के बावजूद 600 को बुला लिया गया. नहाने की जगह नहीं, बिजली-पानी नदारद, और सबसे गंभीर आरोप बाथरूम के पास सीसीटीवी कैमरे. हालांकि पुलिस मुख्यालय ने जांच में इसे गलत बताया, लेकिन इसने विवाद को और भड़का दिया.
सीएम योगी ने दिखाई सख्ती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल ऐक्शन लिया. डीआईजी रोहन पी कनय को पद से हटा दिया गया. प्लाटून कमांडर संजय राय और पीएसी अधिकारी आनंद कुमार को भी सस्पेंड कर दिया गया.
महिला सिपाहियों से प्रेग्नेंसी टेस्ट की अनिवार्यता सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं, बल्कि उनकी निजता पर हमला थी. इस विवाद ने यूपी पुलिस की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं और सरकार को झकझोर दिया है. अब सवाल यह है कि क्या वाकई सिस्टम महिला सशक्तिकरण के लिए तैयार है?