HATHRAS CHILD MURDER CASE: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की विशेष एससी-एसटी अदालत ने एक दिल दहला देने वाले दोहरे हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अदालत ने प्रवक्ता छोटेलाल गौतम की दो मासूम बेटियों सृष्टि (12 वर्ष) और विधि (6 वर्ष) की बेरहमी से हत्या करने वाले दो आरोपियों विकास पाल और लल्लू पाल को फांसी की सजा सुनाई है.
विशेष न्यायाधीश रामप्रताप सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा “दोनों दोषियों को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए.” कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह मामला “विरल से विरलतम” अपराधों में आता है, जिसमें दया या पुनर्वास की कोई गुंजाइश नहीं बचती.
रिश्तों के नाम पर भरोसे का कत्ल, मासूमियत का अंत
22 जनवरी की रात हाथरस की आशीर्वाद धाम कॉलोनी में घटी इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया. सरकारी इंटर कॉलेज में भूगोल के प्रवक्ता छोटेलाल गौतम और उनकी पत्नी वीरांगना ने अपने गांव किशनपुर कपली से आए भतीजे विकास पाल और उसके दोस्त लल्लू पाल को घर में आश्रय दिया. दोनों ने घर पर भोजन किया, बच्चों से प्रेम जताया और ‘चाचा-चाचा’ कहकर विश्वास की दीवार मजबूत की.
लेकिन आधी रात को जब पूरा घर नींद में डूबा था, तब इन दोनों ने पहले छोटेलाल पर चाकू से हमला किया. इसके बाद उन्होंने दोनों मासूम बच्चियों सृष्टि और विधि की गर्दन काट दी. विरोध करने पर वीरांगना पर भी हमला किया गया, लेकिन वह किसी तरह गेट तक भागीं और शोर मचाकर पड़ोसियों को बुला लाईं। लहूलुहान हालत में दंपती को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

संपत्ति के लिए दुबई से दी गई थी सुपारी
पुलिस जांच में इस सनसनीखेज हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार छोटेलाल का रिश्तेदार सोनेलाल निकला, जो दुबई में रहता है. उसने अपने ही चाचा के पूरे परिवार को खत्म करने की सुपारी दी थी ताकि संपत्ति पर कब्जा किया जा सके. विकास और लल्लू ने पैसे के लालच में इस अमानवीय योजना को अंजाम दिया.
23 जनवरी को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. दुबई में रहने वाले सोनेलाल की भूमिका की विवेचना अभी भी लंबित है.
अदालत की कड़ी टिप्पणी: “चंद रुपयों के लिए रिश्तों का कत्ल”
विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा-:
“इस कृत्य से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. कोई भी व्यक्ति अब अपने रिश्तेदारों पर विश्वास नहीं कर पाएगा. इस तरह के विश्वासघात से लोग भयभीत होंगे और ज़रूरतमंद की मदद करने से भी कतराएंगे.”
कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चियों से हत्यारों की कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं थी. यह कत्ल पूरी तरह से पूर्व नियोजित था, जिसमें मानवता और रिश्तों को ताक पर रखकर चंद रुपयों के लालच में दो मासूम जिंदगियों को समाप्त कर दिया गया.
“कम उम्र कोई ढाल नहीं हो सकती”
अभियुक्तों के अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि आरोपी युवा हैं और उनके पुनर्वास की संभावना है. लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा-:
“कम आयु सजा कम करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता. जिन्होंने बच्चियों के गले पर चाकू चलाया, वे फिर किसी भी दिन लालच में ऐसा कृत्य दोहरा सकते हैं.”
सजा का विस्तृत विवरण
1-: IPC धारा 302 (हत्या): फांसी + ₹20,000 जुर्माना
2-: आपराधिक षड्यंत्र: फांसी + ₹20,000 जुर्माना
3-: हत्या के प्रयास: 10-10 साल का सश्रम कारावास + ₹10,000 जुर्माना
4-: आर्म्स एक्ट: 1 साल का सश्रम कारावास + ₹1,000 जुर्माना
5-: SC/ST एक्ट: आजीवन कारावास + ₹20,000 जुर्माना
माँ की आँखों के सामने बेटियों का कत्ल, न्याय ने दिया जवाब
वीरांगना की गवाही ने पूरे न्यायालय को झकझोर दिया. उन्होंने बताया कि कैसे उनकी बेटियाँ सो रही थीं और चाकू से उनकी गर्दन रेत दी गई. उनकी चीखें अब भी उनके कानों में गूंजती हैं.
इस फैसले के बाद अब वह कहती हैं “हमारी बेटियाँ तो लौट नहीं सकतीं, लेकिन कम से कम दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया गया. अब शायद हमारी आत्मा को कुछ शांति मिले.”
यह सजा नहीं, चेतावनी है “रिश्तों की आड़ में छिपे गद्दारों के लिए
हाथरस कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में उन सभी अपराधियों के लिए चेतावनी है, जो रिश्तों की आड़ में विश्वासघात और हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं. यह संदेश है अगर मासूमियत को रौंदोगे, तो कानून तुम्हें “जब तक मौत न हो, तब तक फांसी” तक ले जाएगा.