Missing BSF Jawan Found: डेढ़ महीने से लापता चल रहे बीएसएफ जवान जसवंत सिंह की आखिरकार सुरक्षित बरामदगी हो गई. वह एक पार्क में हाथ-पैर धोते हुए मिला, जहां कोई नहीं जानता था कि वह भारत की सीमा की रक्षा करने वाला सैनिक है और इतने लंबे समय से लापता था. जवान की वापसी से न सिर्फ पुलिस और बटालियन को राहत मिली बल्कि यह खबर परिवार के लिए भी किसी चमत्कार से कम नहीं रही.
ड्यूटी के दौरान हुआ था गायब
हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गांव सुरैल निवासी जवान जसवंत सिंह मथुरा की रिफाइनरी क्षेत्र स्थित बीएसएफ की 167वीं वाहिनी में तैनात था. वह 4 जून को ड्यूटी पर तैनात था, जब वह अचानक बिना किसी सूचना के गायब हो गया. उसके लापता होने के बाद पूरी बटालियन में हड़कंप मच गया. बटालियन की ओर से तुरंत थाना रिफाइनरी में इसकी जानकारी दी गई और एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई.
पुलिस ने गांव से लेकर स्टेशन तक की खाक छानी
जवान के लापता होने के बाद थाना रिफाइनरी के प्रभारी अजय वर्मा ने एक विशेष टीम गठित की, जिसने सबसे पहले जसवंत सिंह के पैतृक गांव सुरैल में जाकर छानबीन की. लेकिन वहां से कोई पुख्ता सुराग हाथ नहीं लगा. जवान का न तो कोई रिश्तेदार कुछ बता सका और न ही गांव वालों को उसकी कोई जानकारी थी. इससे पुलिस की चिंता और बढ़ गई और मामला रहस्यमय बन गया.
रेलवे स्टेशन से मिला अहम सुराग
गांव से लौटते समय पुलिस टीम ने रास्ते में लोगों को जवान की फोटो दिखाकर उसके बारे में पूछताछ शुरू की. काफी देर तक निराशा मिलने के बाद एक शख्स ने बताया कि ऐसी शक्ल वाला एक व्यक्ति कोसली रेलवे स्टेशन पर देखा गया था, जो कुछ अजीब स्थिति में था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस की टीम तुरंत कोसली रेलवे स्टेशन पहुंची और आसपास इलाके में जवान की तलाश शुरू की. यह पहला ठोस सुराग था, जिसने पुलिस को सही दिशा दिखाई.
हनुमान मंदिर के पास पार्क में मिला जवान
तलाश के दौरान पुलिस को रेवाड़ी के बड़ा तालाब स्थित हनुमान मंदिर के पास बने एक पार्क में एक युवक दिखाई दिया, जो शांत भाव से बैठा हुआ हाथ-पैर धो रहा था. जब पुलिस ने पास जाकर उसकी पहचान की तो पता चला कि वही लापता जवान जसवंत सिंह है. वह थका हुआ, मानसिक रूप से विचलित और खोया-खोया सा नजर आ रहा था. पुलिस ने उसे शांतिपूर्वक समझाया और अपने साथ लेकर मथुरा वापस लौटी.
अब घर रवाना हुआ जवान
पुलिस ने जवान को सकुशल बटालियन के सुपुर्द किया, जहां उसका प्राथमिक मेडिकल परीक्षण और मानसिक स्थिति की जांच की गई. जांच में किसी गंभीर बीमारी या खतरे की बात सामने नहीं आई. इसके बाद जवान को कुछ समय के अवकाश पर उसके घर भेज दिया गया है ताकि वह मानसिक रूप से स्थिर हो सके और अपने परिवार के साथ कुछ समय बिता सके. जवान की वापसी ने पूरे सुरक्षा तंत्र और परिवार को बड़ी राहत दी है.