MP Snake Bite News 2025: जैसे ही मानसून ने दस्तक दी है, मध्यप्रदेश के विंध्य अंचल में जहरीले सांपों का प्रकोप भी बढ़ने लगा है. हर दिन सर्पदंश की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में भय का माहौल बन गया है. सतना, रीवा, पन्ना और मैहर जैसे इलाकों के अस्पतालों में रोजाना सर्पदंश के मरीज पहुंच रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि लोग अब खेतों, घरों और रास्तों पर चलने में भी घबरा रहे हैं. गांवों में छोटे बच्चों और बुजुर्गों को लेकर चिंता और बढ़ गई है, क्योंकि वे अक्सर खतरे से अनजान रहते हैं.
कोबरा, करैत और अब रसेल वाइपर भी: तीन सबसे जहरीली प्रजातियां सक्रिय
सर्पमित्र विवेक तिवारी के अनुसार, सतना और इसके आसपास के क्षेत्रों में तीन बेहद जहरीली और जानलेवा सांपों की प्रजातियां सक्रिय हैं. पहली है कोबरा, जिसे स्थानीय भाषा में ‘नाग’ कहा जाता है. यह अपने फन उठाकर हमला करने के लिए कुख्यात है. दूसरी है करैत, जिसे गांवों में ‘कैली’ कहा जाता है. यह सांप बेहद चुपचाप तरीके से घरों में घुस आता है और रात के समय काटता है, जिससे नींद में ही जान चली जाती है. तीसरी और सबसे खतरनाक प्रजाति है रसेल वाइपर, जो बेहद आक्रामक होता है और इसके काटने से शरीर में तुरंत खून जमने लगता है, जिससे मौत भी हो सकती है. पहले यह सांप सतना में नहीं दिखता था, लेकिन अब यह नई चुनौती बनकर सामने आ रहा है.
सोन नदी की बालू से आए रसेल वाइपर के अंडे
रसेल वाइपर की बढ़ती उपस्थिति के पीछे चौंकाने वाला कारण सामने आया है. विवेक तिवारी का कहना है कि सोन नदी से सतना में जो बालू लाया जाता है, उसमें रसेल वाइपर के अंडे या नवजात सांप अनजाने में चले आते हैं. बालू को जब निर्माण स्थलों या खेतों में खाली किया जाता है, तो ये सांप वहीं फैल जाते हैं और धीरे-धीरे पूरी आबादी में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. पिछले 10 वर्षों में इस प्रजाति ने सतना के ग्रामीण और शहरी इलाकों दोनों में अपनी पैठ बना ली है. पन्ना में हाल ही में एक बड़े रसेल वाइपर को रेस्क्यू किया गया, जिससे लोगों में डर और बढ़ गया है.
सांप के काटने पर झाड़-फूंक नहीं, सीधे अस्पताल जाएं
सर्पदंश के मामले में सबसे बड़ी गलती लोग यह करते हैं कि वे झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र या देसी इलाज में समय बर्बाद कर देते हैं. विवेक तिवारी ने चेतावनी दी है कि ऐसा करना जानलेवा हो सकता है. उन्होंने बताया कि सांप के काटते ही तुरंत अस्पताल जाना चाहिए, क्योंकि हर पल महत्वपूर्ण होता है. साथ ही, लोग अक्सर काटे गए स्थान को कसकर बांध देते हैं, जो और भी खतरनाक हो सकता है. इससे ज़हर एक ही जगह जमा हो जाता है और मांस गलने लगता है. बेहतर यह होगा कि उस स्थान को साफ पानी से धोकर स्थिर रखा जाए और पीड़ित को बिना हिलाए अस्पताल ले जाया जाए. यदि संभव हो तो सांप की तस्वीर लेकर जाएं ताकि डॉक्टर सही इलाज कर सकें.
बारिश में बढ़ती है खतरे की आशंका, साफ-सफाई और सतर्कता जरूरी
मानसून के दौरान सांपों का घरों और अनाज के गोदामों में घुसना आम बात है. विवेक तिवारी ने लोगों को सलाह दी है कि वे अपने घरों, खपरैल, अनाज भंडारण और आस-पास के इलाकों की नियमित सफाई करें. चूहों की उपस्थिति सांपों को आकर्षित करती है, इसलिए अनाज को जमीन से कम से कम एक फीट ऊंचाई पर रखें और उसके नीचे पक्का प्लेटफार्म बनवाएं. इस मौसम में खासकर ‘अषाढ़ीया’ या ‘घोड़ा पछाड़’ जैसे सांप और ब्लैक कोबरा अक्सर शिकार की तलाश में घरों में घुस आते हैं. ऐसे में सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है.