Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई पत्नी बिना ठोस वजह के पति को छोड़कर अलग रह रही है, तो वह गुजारा भत्ता की हकदार नहीं मानी जाएगी. जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की एकल पीठ के इस फैसले ने मेरठ की फैमिली कोर्ट के 17 फरवरी 2025 के आदेश को रद्द कर दिया है.
कोर्ट ने दिया आदेश रद्द करने का निर्देश
यह फैसला विपुल अग्रवाल की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया. हाई कोर्ट ने माना कि परिवार अदालत ने यह स्वीकार किया कि पत्नी यह साबित नहीं कर सकी कि वह उचित कारण से पति से अलग रह रही है, इसके बावजूद उसके पक्ष में ₹5,000 प्रति माह गुजारा भत्ता तय किया गया.
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धारा 125(4) का उल्लंघन- हाईकोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय का यह फैसला परस्पर विरोध में है और यह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(4) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जिसके मुताबिक पत्नी
अगर बिना किसी ठोस वजह के पति के साथ नहीं रहती है, तो वह गुजारा भत्ते की अधिकारी नहीं होती है.
अंतरिम भत्ते का आदेश बरकरार
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक याचिका विचाराधीन है, तब तक पत्नी और बच्चे के गुजारा के लिए क्रमश: 3 हजार और 2 हजार रुपए हर महीना पति देता रहेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने मामला दोबारा पारिवारिक अदालत को सौंपते हुए निर्देश दिया कि दोनों पक्षों की पूर्ण सुनवाई के बाद नया निर्णय सुनाया जाए.
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पक्ष की दलीलें
पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी बिना वैध कारण के अलग रह रही थी और अदालत ने याचिकाकर्ता की आय का आकलन किए बिना गुजारा भत्ता तय कर दिया. वहीं पत्नी की ओर से कहा गया कि वह पति द्वारा उपेक्षा के कारण अलग रह रही है, इसलिए भत्ते की हकदार है.