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हाई सिक्योरिटी जेल में कैश का खेल! अतीक अहमद के बेटे अली के पास मिले रुपये, महिला डिप्टी जेलर सस्पेंड

Prayagraj Jail Corruption Case: हाई सिक्योरिटी प्रयागराज जेल में बंद अतीक अहमद के बेटे अली अहमद के पास से 1100 रुपये नगद बरामद हुए. मामले में महिला डिप्टी जेलर कांति देवी और वार्डन संजय द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया है. नगदी की एंट्री को लेकर विभागीय जांच शुरू हो गई है.

Prayagraj Jail Corruption Case: कुख्यात माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद का बेटा अली अहमद एक बार फिर सुर्खियों में है. कई वर्षों से हाई सिक्योरिटी जेल में बंद अली के पास से मंगलवार को जेल अधिकारियों ने 1100 रुपये नगद बरामद किए हैं. यह नगदी कैसे पहुंची, इस सवाल ने जेल प्रशासन को सकते में डाल दिया है. जेल नियमों के मुताबिक, बंदियों के पास नगदी रखना पूरी तरह वर्जित है.

महिला डिप्टी जेलर कांति देवी और वार्डन पर बड़ी कार्रवाई

नगदी मिलने के बाद जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर जेल प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से महिला डिप्टी जेलर कांति देवी और जेल वार्डन संजय द्विवेदी को निलंबित कर दिया है. इन दोनों पर जेल नियमों की अवहेलना और संदिग्ध गतिविधियों को नजरअंदाज करने का आरोप है. विभागीय स्तर पर दोनों के खिलाफ विस्तृत जांच भी शुरू कर दी गई है.

अली अहमद से कोई नियमित मुलाकात नहीं, फिर नगदी कैसे पहुंची?

जेल प्रशासन के मुताबिक अली अहमद से न तो कोई रिश्तेदार मिलता है और न ही कोई बाहरी संपर्क बना पाया है. केवल अधिवक्ता ही कभी-कभार मिलने आते हैं. ऐसे में उसके पास नगदी कैसे पहुंची, यह एक बड़ा और गंभीर सवाल बन गया है. जांच एजेंसियां इस मामले को लेकर बेहद सतर्क हो गई हैं.

जेल के भीतर की गई सघन तलाशी, मचा हड़कंप

मंगलवार को जेल प्रशासन ने जब अली अहमद के सेल की तलाशी ली तो पहले से ही अधिकारियों में बेचैनी थी. तलाशी के दौरान नगदी मिलने से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई. मामले की सूचना जैसे ही वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई, उन्होंने तत्काल टीम भेजकर विस्तृत जांच के आदेश दिए.

जेल की सुरक्षा पर उठे सवाल, बढ़ेगा दायरा

इस मामले ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की जेल सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. हाई सिक्योरिटी सेल में बंद एक कैदी के पास नगदी पहुंचना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि इस बात की ओर भी इशारा करता है कि जेल के भीतर कुछ ना कुछ गड़बड़ जरूर चल रही है. अफसरों का कहना है कि जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा.

विभागीय जांच शुरू, उच्च अधिकारियों की निगरानी में मामला

गंभीरता को देखते हुए मामले की विभागीय जांच का आदेश दे दिया गया है. उच्च अधिकारी खुद पूरे घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं. शुरुआती जांच में ड्यूटी पर मौजूद अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. सूत्रों का कहना है कि आगे और भी कर्मचारियों के नाम इस जांच में सामने आ सकते हैं.

जेल सुधार की दिशा में फिर उठा सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या हमारे जेल सिस्टम में माफियाओं की पकड़ आज भी मजबूत है? क्या जेलकर्मी भी अपराधियों के संपर्क में हैं? क्या पैसे के बदले में नियम तोड़े जा रहे हैं? ये सभी सवाल अब सरकार और जेल प्रशासन के सामने हैं, और जनता को जवाब चाहिए.

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