PRAYAGRAJ NEWS: स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) की बदहाल व्यवस्था और हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद शनिवार शाम जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान कई गंभीर लापरवाहियाँ सामने आईं, जिससे डीएम ने गहरी नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए.
एमआरआई सेंटर पर लटका मिला ताला, डीएम ने जताई नाराजगी
शनिवार शाम लगभग पांच बजे अस्पताल पहुंचे डीएम सबसे पहले एमआरआई सेंटर पहुंचे, जहां उन्हें सेंटर पर ताला लगा मिला. केंद्र के भीतर मशीनों और उपकरणों की स्थिति देखने से वे वंचित रह गए. डिप्टी एसआईसी द्वारा बताया गया कि सेंटर के कर्मचारी पहले ही घर जा चुके हैं. इस पर डीएम ने सख्त नाराजगी जताई और पूछा कि जब प्रशासन को उनके निरीक्षण की जानकारी थी, तो ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को रोका क्यों नहीं गया.
स्वच्छता, समयबद्ध ओपीडी और मरीजों की देखभाल को लेकर दिए सख्त निर्देश
डीएम ने उप प्रमुख अधीक्षक को निर्देशित किया कि अस्पताल में साफ-सफाई, पेयजल की व्यवस्था, चिकित्सकों की समय से उपस्थिति और ओपीडी में डॉक्टरों की समयबद्ध मौजूदगी सुनिश्चित कराई जाए. साथ ही यह भी कहा गया कि मरीजों को समुचित उपचार मिलना चाहिए और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
सबसे पहले पहुंचे ट्रॉमा सेंटर, चिकित्सक अनुपस्थित पाए गए
निरीक्षण की शुरुआत डीएम ने शाम करीब साढ़े पांच बजे ट्रॉमा सेंटर से की. वहां इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. प्रशांत ड्यूटी पर मौजूद थे, लेकिन उनके साथ ड्यूटी पर तैनात डॉ. दीपक अनुपस्थित पाए गए. इस पर डीएम ने गहरी नाराजगी जाहिर की और निर्देश दिया कि ड्यूटी रूम के बाहर चिकित्सकों की शिफ्टवार जानकारी वाला बोर्ड लगाया जाए, जिसमें नाम, मोबाइल नंबर और ड्यूटी का समय स्पष्ट रूप से लिखा हो.
एसी और सीसीटीवी खराब मिले, तत्काल सुधार के निर्देश
निरीक्षण के दौरान ट्रॉमा सेंटर में लगे एसी और सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील नहीं मिले. डीएम ने तुरंत उन्हें सुधारने के निर्देश दिए. इसके अलावा एक्स-रे, सिटी स्कैन और पैथोलॉजी विभाग में मशीनों की कार्यक्षमता की जानकारी ली और वहां तैनात कर्मचारियों की ग्रूमिंग क्लास करवाने की बात कही. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सभी जांच रिपोर्टें समय पर और निर्धारित शुल्क पर ही मरीजों को उपलब्ध कराई जाएं.
मरीजों से जाना हाल, बालिका के मामले में विशेष निर्देश
वार्ड में भर्ती मरीजों से मिलकर डीएम ने उनका हालचाल जाना और डॉक्टरों के व्यवहार के बारे में फीडबैक लिया. अधिकतर मरीजों ने चिकित्सकों के व्यवहार को संतोषजनक बताया. इमरजेंसी वार्ड में भर्ती एक साल की बच्ची, जिसे उसकी मां पुल से फेंक चुकी थी, के केस में डीएम ने जिला प्रोबेशन अधिकारी से बातचीत कर सभी आवश्यक सुविधाएं तत्काल उपलब्ध कराने को कहा.

पुरानी बिल्डिंग का निरीक्षण, आयुष्मान योजना के तहत इलाज के निर्देश
इसके बाद डीएम ने अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग का भी दौरा किया. यहां पुरुष वार्ड में भर्ती नैनी के फूलमंडी निवासी भैया लाल से मिले, जिनके दोनों पैर ट्रेन हादसे में कट चुके थे. डीएम ने डॉक्टरों से कहा कि उनकी रिपोर्ट तैयार कर आयुष्मान कार्ड के जरिए उनका इलाज सुनिश्चित कराया जाए.
निजी एंबुलेंस पर रोक, पुलिस को चेतावनी
एमआरआई सेंटर से निकलने के बाद जब डीएम पोस्टमार्टम हाउस की ओर जा रहे थे, तब रास्ते में कई निजी एंबुलेंस खड़ी मिलीं. इस पर उन्होंने चौकी प्रभारी आनंद यादव को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अब से अस्पताल परिसर में एक भी निजी एंबुलेंस न दिखे. केवल सरकारी एंबुलेंस की अनुमति होगी.
जांच टीम गठित, दो घंटे में मांगी रिपोर्ट
करीब डेढ़ घंटे तक निरीक्षण करने के बाद डीएम ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट समेत चार अधिकारियों की एक टीम गठित की और दो घंटे के भीतर अस्पताल की 100 प्रतिशत निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही, एसआईसी को टाइमलाइन बनाकर सभी खामियों को शीघ्र सुधारने का आदेश दिया.

बाहर की दवाइयों पर सख्ती, सड़कों की मरम्मत के निर्देश
डीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी मरीज को अस्पताल से बाहर की दवा लिखी गई तो संबंधित डॉक्टर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने अस्पताल परिसर में इमरजेंसी वार्ड तक जाने वाली सड़क के मरम्मत और चौड़ीकरण के भी निर्देश दिए.
एसआरएन की निगरानी अब एसीएम के जिम्मे
निरीक्षण के अंत में डीएम ने एसीएम को एसआरएन अस्पताल की समुचित निगरानी का कार्य सौंपा. एसीएम प्रतिदिन ओपीडी में तैनात चिकित्सकों की सूची बनाकर डीएम को रिपोर्ट करेंगे.
निरीक्षण में ये अधिकारी रहे मौजूद
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी के साथ मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अनिमेश वर्मा, सभी अपर नगर मजिस्ट्रेट और एसआरएन की ओर से डॉ. मोहित जैन उपस्थित रहे. यह निरीक्षण एक स्पष्ट संदेश है कि प्रशासन अब स्वास्थ्य व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही को सहन नहीं करेगा.