Prayagraj News: जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड ने बुधवार सुबह अचानक सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल का निरीक्षण किया. उनके निरीक्षण के दौरान अस्पताल की व्यवस्थाओं की हकीकत सामने आई, जिससे डीएम खासे नाराज नजर आए.
इमरजेंसी वार्ड में बदहाल स्थिति
निरीक्षण के दौरान डीएम जब इमरजेंसी वार्ड पहुंचे तो वहां एक ही बेड पर दो से तीन बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था. यह देख जिलाधिकारी ने तीखी नाराजगी जाहिर की और इस प्रकार की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई के संकेत दिए.
खराब एसी पर जताई नाराजगी
वार्डों में कई जगह एसी खराब मिले, जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल्द से जल्द इनकी मरम्मत कराई जाए ताकि मरीजों को गर्मी में राहत मिल सके.

डॉक्टरों और परिजनों से ली जानकारी
डीएम ने भर्ती बच्चों के बारे में डॉक्टरों से विस्तार से जानकारी ली. साथ ही बच्चों के परिजनों से भी बातचीत कर अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में फीडबैक लिया.
अधीक्षक नहीं दे सके जवाब
जब जिलाधिकारी ने अधीक्षक डॉक्टर अनुभा श्रीवास्तव से बच्चों को मिलने वाले भोजन और पोषण की गाइडलाइन के बारे में पूछा, तो वे कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सकीं. इस पर डीएम ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि गाइडलाइन का अध्ययन कर जल्द से जल्द बच्चों के लिए उचित आहार व्यवस्था तय की जाए.

जल संकट पर सख्त निर्देश
अस्पताल में पेयजल की सुविधा भी संतोषजनक नहीं मिली. डीएम ने आदेश दिया कि 15 जून तक अस्पताल परिसर में पांच नए वाटर कूलर लगाए जाएं ताकि मरीजों और तीमारदारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके.
सुधार के लिए 15 जून तक की समयसीमा
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. वत्सला मिश्रा और अस्पताल की अधीक्षक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव को जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि 15 जून तक सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए और इसकी रिपोर्ट उन्हें सौंपी जाए.
महिला अस्पताल (डफरिन) का भी किया निरीक्षण
सरोजिनी नायडू अस्पताल के निरीक्षण के बाद जिलाधिकारी सीधे जिला महिला अस्पताल डफरिन पहुंचे. यहां भी उन्हें कई अव्यवस्थाएं दिखीं, जिस पर उन्होंने अधीक्षक को तुरंत सुधार करने के निर्देश दिए.
करीब डेढ़ घंटे तक चला निरीक्षण
डीएम करीब डेढ़ घंटे तक अस्पताल में रहे और प्रत्येक वार्ड, इमरजेंसी, पेयजल व्यवस्था और सफाई की बारीकी से जांच की. निरीक्षण के दौरान डीएम की गंभीरता और तत्परता साफ झलक रही थी, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है.
जिलाधिकारी के इस औचक निरीक्षण ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है. उम्मीद की जा रही है कि तय समयसीमा के भीतर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.