PRAYAGRAJ NEWS: प्रयागराज में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के एक सनसनीखेज मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) की एंट्री हो चुकी है. जमीन खरीद-फरोख्त के नाम पर की गई 33 करोड़ रुपये की कथित ठगी की जांच अब ईडी के रडार पर है. ईडी ने अपनी प्राथमिक जांच शुरू कर दी है और जल्द ही मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज होने की भी संभावना जताई जा रही है.
ईडी की टीम ने थाने से उठाए केस से जुड़े दस्तावेज
मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी की टीम ने प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने से मुकदमे से संबंधित एफआईआर और केस डायरी की कॉपी प्राप्त कर ली है. सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी इस मामले को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज करने की तैयारी में है.
जून 2024 में हुआ था मुकदमा दर्ज, 33 करोड़ की डील में 24 करोड़ का भुगतान
पूरा मामला जून 2024 में सामने आया, जब सिविल लाइंस थाने में पीयूष बिल्डकन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पीयूष रंजन अग्रवाल ने एक विस्तृत तहरीर देकर एफआईआर दर्ज करवाई थी. एफआईआर में उन्होंने एसआर सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर शिवदत्त पांडेय पर गंभीर आरोप लगाए.
पीयूष रंजन का आरोप है कि उनकी कंपनी और शिवदत्त पांडेय के बीच लगभग 7000 वर्गगज जमीन की खरीद को लेकर 33 करोड़ 25 लाख रुपये की डील हुई थी. इसमें से 24 करोड़ 77 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि अग्रिम भुगतान के तौर पर कर दी गई थी.
अनुबंध का उल्लंघन, संपत्ति पर दोहरी डील के आरोप
शिकायत में बताया गया है कि भुगतान के बावजूद शिवदत्त पांडेय ने अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया. न केवल यह, बल्कि बाद में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि जिस जमीन की डील पीयूष बिल्डकन इंडिया प्रा. लि. से की गई थी, उसी जमीन के कई हिस्सों को अन्य लोगों को भी बेचने का अनुबंध किया गया था.
धमकी, गाली-गलौज और एनआई एक्ट का मामला
इतना ही नहीं, पीड़ित पक्ष का यह भी आरोप है कि जब उन्होंने भुगतान रोका तो विपक्षी पक्ष ने उन्हें गाली-गलौज कर धमकाया. इसके बाद आरोपितों ने चेक बाउंस के तहत एनआई एक्ट का सहारा लेते हुए एक परिवाद भी दर्ज कराया.
ईडी की नजर मनी लॉन्ड्रिंग एंगल पर, कई दस्तावेज खंगाले जा रहे
अब इस पूरे मामले में जब ईडी की एंट्री हुई है तो जांच का दायरा और भी व्यापक हो गया है. ईडी के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि करोड़ों रुपये की इस रकम का इस्तेमाल कहीं अवैध संपत्ति बनाने, हवाला, शेल कंपनियों या किसी अन्य मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधि में तो नहीं किया गया.
ईडी के सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में कुछ संदिग्ध बैंक ट्रांजेक्शन और संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की जानकारी हाथ लगी है. इस आधार पर आरोपी पक्ष की अन्य वित्तीय गतिविधियों की भी गहन जांच की जा रही है.
जांच के घेरे में आ सकते हैं कई और नाम
माना जा रहा है कि इस पूरे घोटाले में शिवदत्त पांडेय के अलावा अन्य नामचीन लोग और कंपनियां भी संलिप्त हो सकते हैं. ईडी की टीम अब पूरे लेन-देन की चेन को ट्रैक कर रही है, जिसमें जमीन मालिक, बिचौलिए और रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े लोग भी शामिल हो सकते हैं.
क्या हो सकता है अगला कदम?
यदि ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग के पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं, तो PMLA के तहत अलग से केस दर्ज कर सभी आरोपी पक्षों की संपत्तियों को अटैच किया जा सकता है. साथ ही पूछताछ और गिरफ्तारी की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है.
प्रयागराज में हलचल, रियल एस्टेट में मची खलबली
इस मामले के उजागर होने के बाद प्रयागराज के रियल एस्टेट सेक्टर में खलबली मच गई है. बिल्डरों और निवेशकों में डर का माहौल है. कई परियोजनाओं की वैधता और लेन-देन पर सवाल उठने लगे हैं.
जमीन घोटाले के इस हाई-प्रोफाइल मामले में ईडी की जांच से अब कई परतें खुलने की उम्मीद है. अगर मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि होती है तो यह मामला देश के अन्य रियल एस्टेट घोटालों की तरह एक बड़ा उदाहरण बन सकता है. प्रयागराज जैसे शांत माने जाने वाले शहर में इस तरह की गतिविधियां कानून व्यवस्था और निवेशकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं.