Prayagraj Police Clash News: शनिवार देर रात कौंधियारा थाना परिसर उस वक्त विवादों में घिर गया जब 2023 बैच के उपनिरीक्षक (एसआई) मनीष सिंह पर अपने ही वरिष्ठ सहकर्मी के साथ गालीगलौज और अभद्रता करने के गंभीर आरोप लगे. पीड़ित एसआई हरेराम यादव का कहना है कि मनीष सिंह अक्सर नशे में धुत होकर थाने के अन्य कर्मचारियों से बदसलूकी करते हैं. शनिवार को स्थिति तब बिगड़ी जब मनीष सिंह शराब के नशे में पहले से ज्यादा आक्रामक हो गए और वरिष्ठ अधिकारी के साथ ही उलझ पड़े.
ओवरलोड ट्रक खड़ा करने पर शुरू हुआ विवाद
जानकारी के मुताबिक रात करीब 1:30 बजे एसआई मनीष सिंह तीन ओवरलोड ट्रक पकड़कर थाने लाए और उन्हें एसआई हरेराम यादव के आवासीय कमरे के सामने खड़ा करने लगे. हरेराम ने ट्रक हटाकर दूसरी जगह खड़ा करने को कहा, ताकि रास्ता बाधित न हो. इस मामूली बात पर मनीष भड़क उठे और गालीगलौज पर उतर आए. जब हरेराम ने उन्हें मना किया और विरोध जताया, तो मनीष ने कथित रूप से हाथापाई शुरू कर दी. थाने में मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा, तब जाकर मामला शांत हुआ.
मारपीट की शिकायत पहुंची अधिकारियों तक
घटना से आहत हरेराम यादव ने इसकी तत्काल शिकायत एसीपी कौंधियारा से की और पूरी घटना विस्तार से बताई. उन्होंने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं थी, दरोगा मनीष पहले भी कई बार इसी तरह का व्यवहार कर चुके हैं. थाने के दूसरे कर्मचारियों ने भी मनीष के व्यवहार को लेकर सहमति जताई. मामला गंभीर होने के कारण जल्द ही डीसीपी यमुनानगर विवेक चंद्र यादव के संज्ञान में भी आ गया.
डीसीपी ने दरोगा को किया निलंबित
डीसीपी विवेक चंद्र यादव ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से प्रारंभिक जांच के आदेश दिए. जांच में आरोपों की पुष्टि हुई तो देर रात ही दरोगा मनीष सिंह को निलंबित कर दिया गया. विभाग ने इसके साथ ही विभागीय जांच शुरू करने के भी निर्देश दिए हैं. पुलिस विभाग ने यह साफ किया है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह किसी भी स्तर का अधिकारी हो.
आरोपी दरोगा का सफाई ‘नोकझोंक थी, मारपीट नहीं’
इस पूरे मामले में आरोपी दरोगा मनीष सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया है. उनका कहना है कि उस रात दोनों के बीच सिर्फ कहासुनी हुई थी, मारपीट जैसी कोई घटना नहीं हुई. उन्होंने यह भी दावा किया कि बात बढ़ने के बाद उन्होंने खुद पहल करके माफी मांगी, लेकिन हरेराम यादव इस पर भी संतुष्ट नहीं हुए और शिकायत कर दी. मनीष ने कहा कि वे विभागीय जांच में सहयोग करने को तैयार हैं.
कौंधियारा थाने में हुई यह घटना पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े करती है. जब एक ही परिसर में तैनात पुलिसकर्मी आपस में भिड़ जाएं और मामला मारपीट तक पहुंच जाए, तो इससे न सिर्फ विभाग की छवि धूमिल होती है, बल्कि आम जनता का भरोसा भी प्रभावित होता है. विभाग द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर अनुशासनात्मक ढांचे की आवश्यकता महसूस होती है.