UP Police Bharti: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को पुलिस भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की महिलाओं को 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का पूरा लाभ देने का निर्देश दिया है. यह फैसला हाई कोर्ट की तरफ से गौतमबुद्ध नगर की नेहा शर्मा समेत 54 याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया.
क्या है मामला?
राज्य सरकार ने पुलिस विभाग में सब-इंस्पेक्टर (सिविल पुलिस), प्लाटून कमांडर (PAC) और फायर सर्विस में एफएसएसओ पदों पर भर्ती के दौरान EWS और सामान्य वर्ग की महिलाओं को एक ही श्रेणी में जोड़कर आरक्षण दिया था. इसका सीधा असर यह हुआ कि EWS श्रेणी की महिलाओं को निर्धारित 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण (902 सीटों में 181) का पूरा लाभ नहीं मिल सका.
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कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार कोई ऐसा नियम या सरकारी आदेश प्रस्तुत नहीं कर पाई, जो सामान्य और EWS महिला आरक्षण को ‘क्लब’ करने की अनुमति देता हो. कोर्ट ने कहा कि इस ‘क्लबिंग’ के कारण केवल 34 EWS महिलाओं को ही नियुक्ति में स्थान मिला, जबकि यह संख्या 181 होनी चाहिए थी.
राज्य सरकार की दलील खारिज
हाई कोर्ट ने किया स्पष्ट
सरकार ने दावा किया कि महिलाओं को कुल 903 सीटें आवंटित कर दी गईं, जो पर्याप्त हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि EWS कोटे की महिलाओं को उनके हिस्से का आरक्षण अलग से और पूर्ण रूप से मिलना चाहिए, न कि सामान्य वर्ग में समाहित करके.
महिलाओं को मिलेगा न्याय
इस आदेश से उन EWS महिलाओं को राहत मिलेगी जिन्हें आरक्षण के बावजूद चयन से वंचित होना पड़ा था. हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद अब राज्य सरकार को भर्ती प्रक्रिया में जरूरी संशोधन करने होंगे.
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