RAHUL GANDHI: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे नज़र आ रहे हैं. वाराणसी के वरिष्ठ अधिवक्ता विनय त्रिपाठी ने सोमवार को सिविल कोर्ट में उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा गया है कि राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे के दौरान भगवान राम और उनसे जुड़ी कथाओं को “काल्पनिक” बताया, जिससे हिंदू समाज की भावनाओं को गहरी ठेस पहुँची है.
क्या कहा था राहुल गांधी ने?
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक भाषण के दौरान भारतीय धार्मिक ग्रंथों पर चर्चा करते हुए कहा“हमारी बहुत सी धार्मिक कथाएँ, जैसे रामायण या महाभारत, सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण तो हैं, लेकिन वैज्ञानिक या ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इन्हें काल्पनिक कहा जा सकता है.”बल्कि उनके पूरे बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध है, लेकिन कई वर्गों ने उनके इस कथन को धार्मिक भावनाओं पर आघात की तरह लिया है.
शिकायतकर्ता की प्रमुख बातें
वकील विनय त्रिपाठी द्वारा दाखिल शिकायत में आईपीसी की धारा 153A (धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करना), और 505 (सार्वजनिक अशांति फैलाने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज कराए जाने की मांग रखी गई है.
शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी का यह बयान सुनियोजित तरीके से धार्मिक ध्रुवीकरण और असंतोष फैलाने के उद्देश्य से दिया गया.जिसके बाद अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 20 मई को तय करी है.
राजनीतिक संगठनों का बयान
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बयान जारी कर कहा“राहुल गांधी बार-बार हिंदू धर्म की आस्थाओं पर चोट करते हैं. उनका यह रवैया कांग्रेस की वर्षों पुरानी मानसिकता को दर्शाता है.”वहीं आरएसएस और विहिप जैसे अन्य संगठनों ने भी इस मुद्दे पर आक्रोश जाहिर किया है और कुछ धार्मिक संगठनों ने 15 मई को वाराणसी में राहुल गांधी के इस बयान पर विरोध मार्च निकालने की घोषणा करी है.
कांग्रेस पार्टी का बयान
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि राहुल गांधी का यह बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.“उन्होंने भारतीय ग्रंथों के प्रतीकात्मक महत्व की बात रखी थी. राहुल गांधी सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते हैं. भाजपा बेबुनियाद आरोप लगाकर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.”
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद 2025 के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों और 2026 की रणनीति में अहम भूमिका के तौर पर नज़र आ सकता है. उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जहाँ धर्म और संस्कृति गहरी जड़ें रखते हैं, वहाँ ऐसे बयान तीखे सियासी हथियार बन सकते हैं.