Ram Mandir: रामलला का मंदिर मजबूती और सुरक्षा की दृष्टि से और भी ज्यादा खास होने वाली है, क्योंकि मंदिर की संरचना में टाइटेनियम धातु का इस्तेमाल किया जा रहा है. दरअसल, मंदिर के तीनों भूतल, प्रथम और द्वितीय तल पर 32 जालियां लगाई जानी है. ये जालियां टाइटेनियम से बनी हुई हैं. शनिवार को पहली जाली लगाकर ट्रायल पूरा कर लिया गया है, जिसके बाद ट्रस्ट की तरफ से मंजूरी मिल गई है.
1 हजार साल से ज्यादा का जीवनकाल
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के मुताबिक, देश में पहली बार होगा कि किसी मंदिर के निर्माण में टाइटेनियम धातु का इस्तेमाल किया जाएगा. इसका जीवनकाल 1 हजार साल से भी ज्यादा है. टाइटेनियम से निर्मित जालियों का निर्माण कार्य भारत सरकार की एक संस्था द्वारा ही पूरा किया गया है. उन्होंने बताया कि 15 अगस्त तक मंदिर सभी 32 जालियों को लगा दिया जाएगा.
रामकथा के म्यूरल का कार्य लगभग पूरा
नृपेंद्र मिश्रा ने यह भी बताया कि मंदिर परिसर में लोअर प्लिंथ पर 800 फीट की लंबाई में श्रीराम की कथा उकेरी जा रही है. इसमें 500 फीट हिस्से में रामकथा के म्यूरल लगाए जा चुके हैं. राम जन्म से लेकर राज्याभिषेक तक की पूरी कथा इन म्यूरल के जरिए जीवंत की जा रही है. इसी तरह परकोटा पर कांस्य से बने कुल 80 म्यूरल लगने हैं, जिनमें से अब तक 45 म्यूरल लगाए जा चुके हैं. ये सभी म्यूरल अयोध्या के इतिहास और रामकथा पर आधारित हैं.
पत्थर और लकड़ी का काम अंतिम चरण में
नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि मंदिर और परकोटा में कुल 14 लाख क्यूबिक फीट वंशी पहाड़पुर का पत्थर लगना था, जिसमें से अब केवल एक लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगना बाकी है. इसके साथ ही अस्थायी मंदिर के स्थान पर सागौन की लकड़ी से स्थायी मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर की सुरक्षा के लिए शीशे का कवर लगाया जाएगा, जिससे यह हर मौसम में सुरक्षित रहेगा. उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण की गति संतोषजनक है और उम्मीद है कि जुलाई के अंत तक प्लिंथ व परकोटा पर रामकथा का कार्य पूरा कर लिया जाएगा.