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अतरासी गांव हादसा: अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से मौतें, प्रशासन की लापरवाही उजागर

Up Crackers Factory Blast: उत्तर प्रदेश के अतरासी गांव में अवैध पटाखा फैक्टरी में भीषण विस्फोट हो गया, जिससे चार लोगों की मौत और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए. टीनशेड और बिल्डिंग ध्वस्त हो गई. ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही और मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं.

Up Crackers Factory Blast: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के रहरा थाना क्षेत्र के अतरासी गांव में सोमवार सुबह एक अवैध पटाखा फैक्टरी में भीषण धमाका हो गया. धमाका इतना तेज था कि आसपास के कई किलोमीटर तक इसकी आवाज सुनाई दी. फैक्टरी की इमारत और टीनशेड पूरी तरह ध्वस्त हो गई. मलबे में दबने से मौके पर ही चार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि करीब 12 से अधिक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. घायलों को स्थानीय अस्पताल और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

राहत-बचाव कार्य जारी, प्रशासन मौके पर

हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है और फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. अधिकारियों ने घटना की गंभीरता को देखते हुए एनडीआरएफ टीम को भी अलर्ट कर दिया है.

भावली गांव में पहले भी हुआ था ऐसा हादसा

अतरासी गांव की यह घटना कोई पहली नहीं है. 1 मई को भी रहरा थाना क्षेत्र के ही भावली गांव में एक अवैध पटाखा फैक्टरी में धमाका हुआ था. उस हादसे में एक महिला मजदूर अपने बच्चे को साथ लेकर काम पर गई थी. बच्चा खेलते समय फुलझड़ी जलाने लगा, जिससे जोरदार विस्फोट हुआ और वह झुलस गया था.

ग्रामीणों का आरोप: “मिलीभगत से चल रही हैं फैक्ट्रियां”

स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पटाखा फैक्टरी पिछले कई महीनों से जंगल में अवैध रूप से चलाई जा रही थी, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि क्षेत्र के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से ही इन अवैध फैक्ट्रियों का संचालन हो रहा है. मजदूरों को रोजमर्रा की मजदूरी पर रखा जाता था और सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे.

कैसे चल रही थी यह मौत की फैक्टरी?

बताया गया कि जंगल के बीच एक मकाननुमा ढांचे में यह फैक्टरी चलाई जा रही थी. यहां फुलझड़ी, सुतली बम, चकरी, अनार जैसे पटाखों का निर्माण और पैकिंग किया जाता था. कई महिलाएं और बच्चे भी इसमें मजदूरी करते थे. कोई सुरक्षा उपकरण, फायर सेफ्टी सिस्टम या लाइसेंस नहीं था. यह पूरी तरह से गैरकानूनी था.

अब उठे सवाल: क्या अब भी नहीं चेतेगा प्रशासन?

अब जबकि लगातार हादसे हो रहे हैं, सवाल यह उठ रहा है कि प्रशासन की आंखों के सामने आखिर इतनी बड़ी अवैध फैक्ट्री कैसे चल रही थी? क्या जिम्मेदारों को संरक्षण प्राप्त है? और क्या अब भी सिर्फ जांच का हवाला देकर मामले को दबा दिया जाएगा?

मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

धमाके में मारे गए मजदूरों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. गांव में मातम पसरा हुआ है. ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और मृतकों के परिवारों को उचित मुआवजा मिले.

यह हादसा सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि सिस्टम की आंखों में धूल झोंककर चल रही ‘मौत की फैक्टरी’ का परिणाम है. अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो अगला धमाका किसी और गांव की त्रासदी बन सकता है.

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