UP Dowry Suicide Case: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के छपरौली थाना क्षेत्र के रठौंडा गांव में एक 28 वर्षीय युवती मनीषा ने आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाकर समाज और कानून दोनों से एक बड़ा सवाल पूछ दिया है. मनीषा ने आत्महत्या से पहले अपने हाथ-पैर पर मार्कर से सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपने साथ हो रही प्रताड़ना और अपमान की कहानी बयान की. उसने अपने शरीर को ही आखिरी गवाह बना लिया और दुनिया को अलविदा कह गई. मनीषा का यह कदम न सिर्फ एक महिला की टूट चुकी आत्मा को दर्शाता है, बल्कि दहेज जैसी सामाजिक बुराई की एक और दर्दनाक मिसाल बन गया है.
28 वर्षीय मनीषा ने हाथ-पैर पर लिखा सुसाइड नोट, जहर खाकर दी जान
मंगलवार की रात जब पूरा घर गहरी नींद में था, मनीषा ने घर में रखी गेहूं में इस्तेमाल होने वाली जहरीली दवा का सेवन कर लिया. सुबह जब मां उसे जगाने पहुंची, तो वह मृत अवस्था में मिली. लेकिन सबसे चौंकाने वाला दृश्य तब सामने आया, जब परिवार वालों ने देखा कि मनीषा ने अपने हाथों और पैरों पर ही मार्कर से सुसाइड नोट लिखा था. उसमें उसने अपने दर्द, उत्पीड़न और बेबसी की कहानी बयान की थी. ये दृश्य किसी के भी दिल को चीर देने वाला था.

2023 में हुई थी शादी, जल्द ही शुरू हुआ था अत्याचार
मनीषा की शादी दो साल पहले 2023 में गाजियाबाद जनपद के सिद्धिपुर गांव निवासी कुंदन पुत्र किशन के साथ हिंदू रीति-रिवाजों से बड़े धूमधाम से हुई थी. विवाह के शुरुआती दिनों में सब ठीक रहा, लेकिन कुछ ही महीनों बाद ससुराल पक्ष का असली चेहरा सामने आने लगा. मनीषा पर दहेज में और सामान लाने का दबाव बनाया जाने लगा. पति कुंदन और ससुराल वालों ने शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की प्रताड़ना देना शुरू कर दी. आरोप है कि जब मनीषा गर्भवती हुई, तो उसे जबरन गर्भपात के लिए मजबूर किया गया, जिससे उसका शरीर और मन दोनों पूरी तरह टूट गए.
पिता बोले- ‘थार चाहिए थी उन्हें, मेरी बेटी ने जान दे दी’
मृतका के पिता तेजबीर, जो गाजियाबाद में एमसीडी में नौकरी करते हैं, ने बताया कि बेटी को जुलाई 2024 में ही ससुराल से मायके ले आया था क्योंकि वहां उसकी जान को खतरा था. लेकिन इसके बाद भी ससुराल पक्ष का दबाव कम नहीं हुआ. लगातार फोन करके थार गाड़ी और नकद पैसों की मांग की जाती रही. कुछ दिन पहले ससुराल पक्ष के 20-25 लोग गांव आए और कहा कि वे आपसी सहमति से शादी का सामान और खर्च वापस कर देंगे. लेकिन जब कागजी प्रक्रिया की बात आई, तो मनीषा ने स्पष्ट कहा कि वह तब तक तलाकनामे पर दस्तखत नहीं करेगी जब तक दहेज की पूरी भरपाई नहीं की जाती. यह बयान उसके साहस को तो दिखाता है, लेकिन समाज की उस कठोर हकीकत को भी उजागर करता है जहां एक महिला की आवाज भी उसे नहीं बचा पाती.
गेहूं में रखने वाली जहरीली दवा से की आत्महत्या
इस घटनाक्रम के बाद से मनीषा गहरे तनाव में रहने लगी थी. वह भीतर ही भीतर घुट रही थी लेकिन चेहरे पर दर्द की झलक कम ही दिखती थी. मंगलवार रात उसने परिवार के सो जाने के बाद वह जहर खा लिया जो आमतौर पर गेहूं को कीड़ों से बचाने के लिए रखा जाता है. अगली सुबह जब उसकी मां सुनीता उसे उठाने पहुंची, तो बेटी को मृत पाया. यह दृश्य पूरे परिवार के लिए असहनीय था. पिता तेजबीर को जब गाजियाबाद से गांव आने की सूचना दी गई तो उन्होंने पुलिस को जानकारी दी और फिर पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू हुई.
पुलिस ने शुरू की जांच, तहरीर का इंतजार
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई. छपरौली थाना प्रभारी निरीक्षक देवेश शर्मा ने बताया कि अभी तक परिजनों द्वारा कोई लिखित तहरीर नहीं दी गई है. पोस्टमार्टम कराया गया है और शव को परिवार को सौंप दिया गया है. उन्होंने कहा कि जैसे ही तहरीर प्राप्त होगी, वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल गांव में मातम पसरा है, हर चेहरा खामोश है और आंखें सवालों से भरी हुई हैं.