UP News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. शुक्रवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार राजधानी लखनऊ में तो सुविधाएं विकसित कर रही है, लेकिन अन्य जिलों के लोग अभी भी गंभीर चिकित्सा सहायता से वंचित हैं. इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ कर रही है.
सरकार का पूरा ध्यान राजधानी पर
हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार का पूरा ध्यान राजधानी पर है. बाकी जिलों के मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ या दिल्ली जाना पड़ता है. करदाताओं के पैसे का समान वितरण होना चाहिए न कि किसी खास शहर को चिकित्सा केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहिए.
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प्रमुख सचिव को किया तलब
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य) अदालत में गैर मौजूद रहने पर हाई कोर्ट ने उन्हें तलब किया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को 1 जुलाई, 2025 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है. साथ ही प्रदेश के 42 मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिए किए गए प्रयासों की विस्तृत जानकारी मांगी गई है.
मेडिकल कॉलेजों की रिपोर्ट कोर्ट में करें पेश
हाई कोर्ट ने ने प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि वे सभी मेडिकल कॉलेजों का दौरा करें और वहां की जरूरतों की रिपोर्ट न्यायालय में पेश करें. इसके अलावा, प्रयागराज के जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, नगर आयुक्त, एसआरएन अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक, उप अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी अगली सुनवाई पर कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
बजट के हलफनामे को हाई कोर्ट में करें पेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ के तीन प्रमुख चिकित्सा संस्थानों SGPGI, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज और राम मनोहर लोहिया संस्थान को मिलने वाले बजट आवंटन का विवरण हलफनामे के रूप में प्रस्तुत करने को कहा है.
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