UP News: डिजिटल से लेकर अंतरिक्ष तक हर क्षेत्र में भारत कीर्तिमान गढ़ रहा है. भारत ने चांद तक का भी सफर पूरा कर लिया है. गांव-गांव तक सस्ते दामों में इंटरनेट की पहुंच हो गई है. लेकिन यूपी में आज भी एक ऐसा गांव हैं, जहां बच्चे दीयों की रोशनी में पढ़ाई करके अपने सपनों की तरफ उड़ान भर रहे हैं. महिलाएं, चिराग की धीमी लौ में खाना बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
78 साल से बिजली से महरूम है ये गांव
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का एक गांव रोटी कपड़ा और मकान के बाद सबसे जरूरी चीज बिजली से महरूम है. आजादी के 78 साल बीत गए लेकिन बिजली का तार इस गांव में नहीं पहुंच पाया. दरअसल, जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गढ़रियनपुरवा नामक गांव में बिजली कनेक्शन नहीं है. कई लोगों का बचपन से लेकर जवानी तक और अब बुढ़ापा अंधेरे में बीत गया. लेकिन बिजली का उजाला गांव की किस्मत में नहीं नसीब हुई.
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खंभे लगे पर नहीं पहुंच पाए तार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्रामीणों का कहना है कि सरकारें आती हैं और वादा करके, सपने दिखाकर चली जाती हैं. लेकिन हकीकत वैसी ही है. अंधेरे में पुरानी पीढ़ियों से लेकर नई नस्लें सब अंधेरे में जीने को मजबूर हैं. गांव में साल 2017 में बिजली के कुछ खंबे जरूर लगाए गए, लेकिन 8 सालों के बाद भी उनमें तार नहीं लगाया गया. तपती और उमस भरी गर्मी में आज भी लोग सिर्फ प्रकृति की हवाओं पर निर्भर हैं.
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पानी को लेकर भी किल्लत
बिजली के साथ गढ़रियनपुरवा नाम के गांव में पानी की व्यवस्था बहुत खराब है. ग्रामीणों को पानी की किल्लत की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन की योजना महज नाम मात्र की है. पाइप तो लगा दिए गए, लेकिन टोटी अभी तक नहीं लग पाई है. गांववालों के लिए पानी पीने के लिए सिर्फ एकमात्र सहारा सरकारी नलें हैं, जिन पर सुबह-शाम लंबी-लंबी कतारें लगती हैं.