UP News: कहा जाता है कि लड़कियों का अपना कोई घर नहीं होता है. जन्म एक घर में लेती हैं, तो मृत्यु किसी और के घर में होती है. उनका आधा जीवन अपने माता-पिता के घर में बीतता और आधा जीवन अपने पति के घर में, क्योंकि शादी के बाद पति के घर में चली जाती हैं. शादी के बाद लड़कियों का पति के घर में जाने की परंपरा लगभग पूरे देश में है. लेकिन क्या आपने सुना है कि यूपी में एक ऐसा गांव हैं, जहां विवाह के लड़कियां नहीं लड़के घर छोड़कर अपने ससुराल रहते हैं. इस गांव में लड़कियों की विदाई के बजाय लड़कों की विदाई होती है. इस गांव की पूरी कहानी जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
इसे जिले में स्थित है गांव
यूपी का यह अनोखा गांव प्रयागराज से सटे कौशांबी जिले में स्थित है. जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर करारी कस्बे के किंग नगर मोहल्ले को लोग ‘दामाद वाला मोहल्ला’ कहते हैं.
लड़कों को घरजमाई बनाने की ये थी वजह
यहां की यह अनूठी परंपरा समाज में फैली कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा, दहेज उत्पीड़न और भ्रूण हत्या के खिलाफ एक तरह की सामाजिक पहल है. बुजुर्गों का मानना था कि बेटियों को इन समस्याओं से बचाने के लिए सबसे बेहतर तरीका यही है कि उनकी शादी तो हो, लेकिन दामाद को भी ससुराल में ही बसाया जाए. इसी सोच के चलते यहां दामाद अपनी ससुराल में ही रहकर परिवार का हिस्सा बनते हैं.
40 से 50 घर आज भी मौजूद
दरअसल, महिलाओं के साथ हो रही बदसलूकी को लेकर यहां के बुजुर्ग इस तरह के नियम बनाएं. जो लड़का घर जमाई बनने पर राजी होता है उसी से अपनी बेटियों की शादी करवा देते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यहां आज भी 40 से 50 ऐसे घर हैं, जिनके मुखिया दामाद ही हैं. वहीं, जो घर जमाई बेरोजगार रहते हैं उनके रोजगार की भी व्यवस्था ससुराल वाले ही करते हैं.
गांव के लोगों का कहना है कि इसी परंपरा के चलते मोहल्ले को ‘दामादों का पुरवा’ कहा जाने लगा. हालांकि, लोग इसे ‘किंग नगर’ के नाम से भी जानते हैं.