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तेज प्रताप यादव का वीडियो कॉल और 26 जुलाई को संविधान दिवस का बड़ा ऐलान—अखिलेश ने प्रेस कांफ्रेंस में खोले कई राज

UP Politics News: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 26 जुलाई को 'संविधान मान स्तंभ स्थापना दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया. प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने बीजेपी पर संविधान विरोधी रवैये का आरोप लगाया. तेज प्रताप यादव से वीडियो कॉल पर हुई बातचीत में चुनावी माहौल पर चर्चा की.

UP Politics News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय पर एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी सरकार पर तीखे प्रहार किए, संविधान की रक्षा का संकल्प दोहराया और बिहार के नेता तेज प्रताप यादव के साथ हुई बातचीत को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की. छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने समाजवादी विचारधारा की महत्ता पर जोर देते हुए पार्टी की आगामी रणनीति का खुलासा किया.

अब 26 जुलाई को ‘संविधान मान स्तंभ स्थापना दिवस’ मनाएगी सपा

अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में छत्रपति शाहूजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि “आज हम छत्रपति साहू जी महाराज, डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया और नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प ले रहे हैं.”

उन्होंने घोषणा की कि समाजवादी पार्टी अब हर वर्ष 26 जुलाई को ‘संविधान मान स्तंभ स्थापना दिवस’ के रूप में मनाएगी. उन्होंने बताया कि यह परंपरा पिछले साल शुरू हुई थी और अब इसे संगठनात्मक स्तर पर मजबूती दी जाएगी. यह दिन आरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले महापुरुषों को समर्पित होगा.

बीजेपी पर तीखा हमला: सत्ता में आते ही भूल जाते हैं संविधान

अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी सत्ता में आने के लिए संविधान का इस्तेमाल करती है, लेकिन जैसे ही सत्ता मिलती है, वह उसी संविधान को ताक पर रख देती है.
उन्होंने कहा, “बीजेपी के नेता संविधान की शपथ तो लेते हैं, लेकिन उनके कार्यों में निष्ठा का पूर्ण अभाव साफ दिखता है. जो लोग ‘सोशलिस्ट’ और ‘सेकुलर’ शब्दों से चिढ़ते हैं, वे कभी समाज की भलाई के लिए काम नहीं कर सकते.”

उन्होंने आगे कहा कि यह लड़ाई ‘मैं बनाम हम’ की है. समाज के उत्थान के लिए व्यक्ति को अपनी पहचान का विलय करना होता है. सोशलिस्ट और सेकुलर बनने के लिए बड़ा दिल चाहिए, लेकिन हार्टलेस लोग हमेशा इसका विरोध करते हैं. यही लोग पीडीए—पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वर्ग—के भी विरोधी हैं.

तेज प्रताप यादव से बातचीत को लेकर उठाया पर्दा

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब मीडिया ने तेज प्रताप यादव के फोन कॉल को लेकर सवाल किया तो अखिलेश यादव ने साफ किया कि तेज प्रताप ने उन्हें दो बार फोन किया था. उन्होंने कहा, “मुझे लगा कि कोई इमरजेंसी न हो, इसलिए मैंने रिडायल किया. कॉल वीडियो कॉल थी, जिसे उठाना पड़ा. इसमें कुछ भी असभ्य नहीं है.”

उन्होंने बताया कि तेज प्रताप ने उनसे बिहार में चुनाव को लेकर बातचीत की. उन्होंने कहा, “मैंने पूछा कि चुनाव लड़ रहे हो या नहीं. उन्होंने बताया कि वह विधायक हैं और लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. मैंने भी कहा कि बिहार में बीजेपी की हालत खराब है. वहां के लोग अब ‘सीएम बदलो’ फॉर्मूले को समझ गए हैं.”

भाजपा सरकार पर अन्याय, अत्याचार और दोहरी नीति के आरोप

अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करते हैं, उन्हीं की सरकार में महिलाओं और दलितों पर अत्याचार की घटनाएं सबसे अधिक हो रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न के आंकड़े सबसे अधिक हैं. सरकार के खुद के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग कुंभ मेले में, शंकराचार्य से, और यहां तक कि गंगा में स्नान करके भी झूठ बोल सकते हैं, उनसे क्या अपेक्षा की जाए?

उन्होंने यूपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “पुलिस वर्दी में कैश ले जा सकती है, बुलडोजर सरकार की प्लानिंग के तहत चलाया जा सकता है. पहले प्लानिंग होती है, फिर तस्वीरें सामने आती हैं कि कौन-कौन प्लानिंग में शामिल था और बाद में वही लोग बुलडोजर पर बैठ जाते हैं.”

‘हम सिर्फ सुन सकते हैं’ – लोकतंत्र पर सवाल

अखिलेश यादव ने सरकार की नीति और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस सरकार में आम आदमी का अधिकार सिर्फ इतना रह गया है कि वह चुपचाप सब देखता और सुनता रहे. उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र नहीं, यह डर का शासन है. सरकार ने डर और दमन की राजनीति को हथियार बना लिया है.”

समाजवादी पार्टी का नया संघर्षपथ

अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में दोहराया कि समाजवादी पार्टी अपने मूल सिद्धांतों के साथ खड़ी है और आगे भी संघर्ष करती रहेगी. उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे 26 जुलाई को संविधान मान स्तंभ स्थापना दिवस को ज़ोर-शोर से मनाएं और देश में संविधान की रक्षा के लिए लगातार आवाज़ उठाते रहें.

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