UP Tourism.: उत्तर प्रदेश की पहचान अब अपने ऐतिहासिक किलों और महलों से और भी मजबूत होने जा रही है, क्योंकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन्हें पर्यटन की रोशनी में लाने की ठानी है.
पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किए जाने वाले कुल 11 ऐतिहासिक स्थलों की सूची राज्य के अलग-अलग जिलों से तैयार की गई है. इनमें ललितपुर जिले का प्रसिद्ध तालभेहट किला शामिल है, जो अपनी सामरिक बनावट के लिए जाना जाता है. बांदा जिले से दो प्रमुख किले – रनगढ़ और भूरागढ़ – चुने गए हैं, जिनका बुंदेलखंड के गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है. गोण्डा जिले की वज़ीरगंज बारादरी को भी इस योजना में शामिल किया गया है, जो नवाबी स्थापत्य की मिसाल है. राजधानी लखनऊ से तीन ऐतिहासिक इमारतें – आलमबाग भवन, गुलिस्तान-ए-इरम और दर्शन विलास – चयनित की गई हैं, जो अतीत की रॉयल विरासत को दर्शाती हैं. कानपुर की टिकैत राय बारादरी, महोबा के मस्तानी महल और सेनापति महल, झांसी का तहरौली किला तथा मथुरा जिले का सीताराम महल (कोटवान किला) भी इस सूची का हिस्सा हैं. ये सभी स्थल अपनी विशिष्ट स्थापत्य शैली और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए प्रसिद्ध हैं.
विरासत में आधुनिकता की झलक
सरकार की योजना के अनुसार, इन धरोहरों का पुनरोद्धार इस तरह से किया जाएगा कि इनका ऐतिहासिक स्वरूप और सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रहे, लेकिन साथ ही इनमें आधुनिक सुविधाएं भी जोड़ी जाएं. इन्हें इस प्रकार से विकसित किया जाएगा कि ये होटल, संग्रहालय या सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में कार्य कर सकें. पर्यटक इन स्थानों पर आकर न सिर्फ ठहर सकेंगे, बल्कि ऐतिहासिक महत्त्व की इन इमारतों को नजदीक से देख और समझ सकेंगे. इस बदलाव से पर्यटन अनुभव अधिक समृद्ध और आकर्षक होगा.
बुंदेलखंड को मिलेगा विशेष लाभ
इस पूरी परियोजना का सबसे बड़ा लाभ बुंदेलखंड जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों को मिलेगा. यहां के कई किले और महल इस योजना का हिस्सा बनाए गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी. इसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, चाहे वह होटल व्यवसाय हो, गाइड सेवा, हस्तशिल्प या अन्य सहायक उद्योग. यह योजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी और युवाओं के लिए नई संभावनाएं खोलेगी.