आसनसोल.
शहरो में अमुमन भूमि की कमी, विषाक्त भोजन, प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों के वर्तमान दौर में, यदि कोई प्रकृति के संपर्क में सुरक्षित और पौष्टिक भोजन का उत्पादन करना चाहता है, तो छत पर सब्जी की खेती एक आसान और कारगर तरीका हो सकता है. शहर से लेकर गांव तक, जहां भी हो, घर की खाली छत या बालकनी का उपयोग करके सब्ज़ियां, फल या मसाले के पौधे उगाये जा सकते हैं. यह केवल एक शौक नहीं, बल्कि शहरी कृषि का एक सशक्त रूप है, जो परिवार की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ किसानों के लिए वैकल्पिक आय के स्रोत भी खोलता है. हीरापुर प्रखंड के कृषि विभाग के प्रखंड प्रौद्योगिकी प्रबंधक अपूर्व दास ने बताया कि छत पर सब्ज़ी की खेती केवल अपने घर के लिए भोजन का उत्पादन ही नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह तापमान को नियंत्रित करती है, गर्मियों में छत पर उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त गर्मी को कम करती है. इसके अलावा, यह वर्षा जल संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सहायक है.खेती के लिए आवश्यक सामग्री
प्लास्टिक के ड्रम, टब, सीमेंट के डिब्बे, पॉलीथीन बैग, बेकार बाल्टियां, गमले या कंटेनर आदि जिनके तल में छेद हों, ताकि अतिरिक्त पानी निकल सके का उपयोग किया जा सकता है. दोमट मिट्टी, जैविक खाद (वर्मीकम्पोस्ट, गोबर), नारियल की भूसी, रेत, जैविक खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाये. फिर एक छोटे छिद्रित पाइप या स्प्रे बोतल से दिन में एक या दो बार हल्का पानी दें. इसमें लगाने के लिये टमाटर, लौकी, कद्दू, धनिया, मेथी, पालक, मिर्च, खीरा, प्याज उच्च गुणवत्ता वाले और रोगमुक्त बीज और पौधे चुनें. साफ ढलान वाली छत चुनें ताकि पानी जमा न हो. खेती योग्य बर्तन के तल में छेद करें ताकि पानी आसानी से निकल सके. 50 प्रतिशत दोमट मिट्टी, 30 प्रतिशत जैविक खाद और 20 प्रतिशत रेत मिलाकर एक हल्का और उपजाऊ मिश्रण बनाये.बीज या पौधे निर्दिष्ट गहराई पर रोपें. यदि कीटों का आक्रमण हो, तो जैविक कीटनाशकों (जैसे नीम का तेल, लहसुन-प्याज का रस) का प्रयोग करें. इस प्रकार की खेती के लिये गर्मियों में लौकी, खीरा, झींगा, करेला, भिंडी उगाये. मानसून में पालक, केल, केल, आदि तथा सर्दियों में आप टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, मूली, गाजर, चुकंदर उगा सकते हैं. साल भर पालक, धनिया, मेथी, मिर्च, प्याज उगाये जा सकते हैं.
आर्थिक लाभ की संभावनाएं
प्रखंड प्रौद्योगिकी प्रबंधक अपूर्व दास ने बताया कि लोग अपने उपभोग के लिए शुरुआत करते हैं, वे बाद में व्यवसायिक स्तर पर जा सकते हैं. कुछ लोग 500-1000 वर्ग फुट की छत पर खेती करके प्रति माह 5,000-15,000 रूपये तक कमा रहे हैं. जैविक सब्जियां बेचने के लिए स्थानीय बाजार और ऑनलाइन डिलीवरी चैनल उपलब्ध हैं. छत पर खेती महिलाओं के लिए घरेलू आय का एक अवसर पैदा करती है. वे घर के कामों को संभालते हुए समय पर सुरक्षित भोजन का उत्पादन कर सकती हैं. यह घर के बच्चों को प्रकृति से परिचित कराने और उन्हें प्रकृति के बारे में सिखाने का भी एक तरीका है. इस प्रकार की खेती के लिए सरकारी और निजी सहायता कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी, राज्य कृषि विभाग की ओर से प्रशिक्षण और मृदा परीक्षण, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) की ओर से तकनीकी सहायता, गैर-सरकारी संगठन और स्वयं सहायता समूह से आप जैविक खेती सहायता केंद्र से सहायता प्राप्त कर सकते हैं. छत पर सब्जियों की खेती अब केवल एक शौक नहीं, बल्कि एक वास्तविक कृषि मॉडल बन गयी है. शहरी जीवन में भी, कम प्रयास से स्वास्थ्य, पोषण, पर्यावरण संरक्षण और आय का स्रोत बनाना संभव है. किसान परिवारों से लेकर कर्मचारियों तक, हर कोई छत पर खेती के माध्यम से हरित और स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है