रानीगंज.
रानीगंज स्थित श्री सीताराम जी मंदिर परिसर में गुरुवार को बीते साल की तरह इस साल भी 31 जोड़ों ने पार्थिव शिव पूजन में हिस्सा लिया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर इस धार्मिक अनुष्ठान के साक्षी बने. शिव महापुराण के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा प्राचीन काल से प्रचलित है और इसे अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है.कार्यक्रम का उद्देश्य और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर कमेटी के अध्यक्ष बिमल बाजोरिया ने बताया कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम माता सीता को लंकापति रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिये लंका पर चढ़ाई की तैयारी कर रहे थे, तब उन्होंने गंगा मिट्टी से भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा की थी. तभी से इस परंपरा की शुरुआत मानी जाती है.
उन्होंने बताया कि इस पूजा के लिये कोलकाता के कुम्हारटोली के मूर्तिकारों द्वारा कोलकाता से गंगा मिट्टी लाकर 31 शिव परिवारों की मूर्तियां बनायी गयीं. पूजन के पश्चात इन मूर्तियों का विसर्जन रानीगंज की दामोदर नदी में किया जायेगा.श्रद्धालुओं की आस्था और आयोजन की भावना
मंदिर के सचिव प्रदीप सरायां ने बताया कि पिछले 6 वर्षों से यह परंपरा रानीगंज में निभायी जा रही है. बीते साल किसी कारणवश इसका आयोजन नहीं हो सका था, लेकिन इस साल श्रद्धालुओं की मांग पर इसे दोबारा शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि श्रद्धा और सेवा दोनों का विशेष महत्व होता है और इस आयोजन में सेवा करने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं.पार्थिव पूजन का महत्व और विधि
आचार्य लक्ष्मण शास्त्री ने 31 जोड़ों को विधिवत पूजन कराते हुए बताया कि सावन माह में पार्थिव शिव पूजन का विशेष फल मिलता है. शिव महापुराण के अनुसार, इससे धन, आरोग्य, संतान और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि पार्थिव शिवलिंग 7 वस्तुओं, गंगा मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म आदि से बनाना चाहिए. शिवलिंग 12 अंगुल से अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए. पूजा में गणेश, विष्णु, नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान भी आवश्यक होता है.मुख्य यजमान और आयोजन टीम
इस वर्ष के पार्थिव शिव पूजन के मुख्य यजमान समाजसेवी ओम प्रकाश भुवालका और उनकी पत्नी थीं. साथ ही मॉर्निंग वॉकर योगा ग्रुप के कई सदस्य भी अपने जीवनसाथियों के साथ इस पूजन में सम्मिलित हुए.मंदिर के कोषाध्यक्ष ललित झुनझुन वाला ने कहा कि जिस प्रकार श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, आने वाले वर्षों में स्थान की कमी की संभावना हो सकती है. पूरे आयोजन को सफल बनाने में मंदिर के पुजारी विजय पांडेय और उनकी टीम, मंदिर कमेटी के सदस्य हरि सोमानी, अभिषेक बगड़िया, गोविंद लोहिया, विजय जाजोदिया समेत अनेक भक्तों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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