हर दिन 300 टन कचरा लोगों की बढ़ी परेशानी
संतोष विश्वकर्मा, आसनसोल
नगर निगम इलाके में कचरे के निष्पादन के लिए बनाये गये कालीपहाड़ी और श्यामडीह डंपिंग यार्ड अब स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं. कालीपहाड़ी डंपिंग यार्ड 27 एकड़ में फैला है, जबकि श्यामडीह का डंपिंग यार्ड तीन एकड़ में. यहां नगर निगम के 106 वार्डों से प्रतिदिन करीब 300 टन कचरा फेंका जाता है. नतीजतन दोनों यार्डों में कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है. कालीपहाड़ी के आसपास के कालीपहाड़ी और छाता पातर के 4-5 गांव तथा श्यामडीह यार्ड के आसपास के श्यामडीह और मानिकचंद पल्ली के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. बदबू, मच्छर और मक्खियों के कारण डायरिया समेत कई बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है. सेग्रीगेशन बंद, कचरे का बढ़ रहा अंबार: स्टेट डेवलपमेंट अर्बन एजेंसी (सूडा) ने कालीपहाड़ी डंपिंग यार्ड में दिल्ली की कंपनी हुलाडेक को कचरा पृथक्करण का कार्य ट्रायल बेसिस पर दिया था. मशीनों की मदद से गीला और सूखा कचरा अलग किया जाता था. गीले कचरे से खाद बनाई जाती थी, जिसे खेतों में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. डस्ट पार्टिकल्स का उपयोग नगर निगम प्रशासन सड़क निर्माण और जमीन भराई में करता था.
हालांकि कुछ महीने पहले कंपनी का टेंडर समाप्त हो गया और काम बंद हो गया. तब से सेग्रिगेशन यानी पृथक्करण का काम ठप है, जिससे डंपिंग यार्ड में कचरे का अंबार तेजी से बढ़ता जा रहा है.नये टेंडर की प्रतीक्षा, बारिश में बढ़ी दिक्कतें
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, गर्मी और सर्दी में अक्सर कचरे को आग लगाकर नष्ट कर दिया जाता था, लेकिन बारिश में कचरा सड़ने लगता है, जिससे समस्या बढ़ जाती है. कालीपहाड़ी यार्ड में प्रतिदिन लगभग 1000 क्यूसेक मीटर कचरा निष्पादन का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक लगभग 5 लाख मैट्रिक टन कचरा जमा हो चुका है. सूत्र बताते हैं कि यहां प्रतिदिन करीब 600 टन कचरा जमा होता है, जिसे निपटाने में लंबा समय लग सकता है. नगर निगम के अधिकारी अनिंद्य घोष ने बताया कि स्टेट अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से नयी निविदा निकाली गयी है. जिस कंपनी को टेंडर मिलेगा, वह सेग्रिगेशन का कार्य पुनः शुरू करेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है