साइबर क्राइम विभाग से बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी गयी सूचना आसनसोल. पेटीएम, फोनपे या गूगलपे जैसे यूपीआइ ऐप्स के जरिए पेमेंट करते हैं और हाल ही में बार-बार आपका ट्रांजेक्शन फेल हो रहे हैं, तो सतर्क हो जाइये. यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने डिजिटल पेमेंट फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए नया तकनीकी सिस्टम शुरू किया है. इस आशय की सूचना साइबर क्राइम विभाग की ओर से बैंकों के क्षेत्रीय मुख्यालय को भेज दी गयी है, ताकि बैंक अपने ग्राहकों को साइबर ठगी का शिकार होने से बचा सकें. इसके तहत कुछ मोबाइल नंबरों को रिस्की यानी जोखिम भरा मानते हुए उन पर यूपीआइ ट्रांजेक्शन ब्लॉक किया जा सकता है. इस सिस्टम के तहत ऐसे मोबाइल फोन नंबरों की पहचान की जा रही है. जिन्हें साइबर फ्रॉड की शिकायतें मिली है या जिनका व्यवहार संदिग्ध पाया गया है. उदाहरण के तौर पर बार-बार डिवाइस या सिम बदलना, गलत केवाइसी जानकारी देना अथवा, फर्जी क्यूआर कोड से जुड़े रहना, इन सभी गतिविधियों को संदेहास्पद माना जा रहा है. इस नये फ्रॉड मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत मोबाइल नंबरों को मीडियम रिस्क, हाइ रिस्क और वेरी हाइ रिस्क श्रेणी में बांटा जायेगा. जिन नंबरों को बेहद जोखिम वाला माना जायेगा, उन पर यूपीआइ ट्रांजेक्शन या तो पूरी तरह से ब्लॉक कर दिये जायेंगे अथवा, उन पर सीमित लेनदेन की अनुमति होगी. ऐसे में जो लोग बार-बार डिवाइस या सिम बदलते हैं, बार-बार ओटीपी आइ यूपीआइ पिन इंटर करने में सफल होते हैं. गलत या अधूरी केवाइसी जानकारी जमा करते हैं. जिनके खिलाफ साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज हैं, जिनके यूपीआइ ट्रांजैक्शन पर रोक लगा जा सकती है. पेटीएम फोन पर और गूगल पे जैसे बड़े यूपीआइ ऐप्स और बैंक के सिस्टम का हिस्सा है. क्योंकि इस प्लेटफार्म के जरिए भारत में 90 प्रतिशत से अधिक यूपीआई ट्रांजैक्शन होते हैं. इसलिए इस बदलाव का असर करोड़ों यूजर्स पर पड़ सकता है. कोई सार्वजनिक सूची अभी उपलब्ध नहीं है. जिससे यह पता लगाया जा सके कि आपका नंबर ही सिस्टम की निगरानी में है या नहीं लेकिन यदि आप इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं. बार-बार यूपीआइ फेल होना ट्रांजेक्शन अंडर रिव्यू या कुड नॉट प्रोसेस जैसे मैसेज आना कर कोड स्कैन करने पर भी पेमेंट फेल हो तो सतर्क हो जाइए तुरंत आपके बैंक या यूपीआई एप्स की हेल्पलाइन से संपर्क करें . ऐसे में ऐप्स में लौग आउट कर फिर लॉगिन करें. अपने केवाइसी और विवरण को बैंक में अपडेट करें. सिम को इस डिवाइस में रखें. जिसमें ऐप्स इंस्टॉल हैं. समस्या बनी रहे तो बैंक या नोडल अधिकारी या एनपीसीआइ से शिकायत करें.
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