धूम्रपान और वायु प्रदूषण से बढ़ रहा अस्थमा, विशेषज्ञों ने जतायी चिंता
कोलकाता. मंगलवार छह मई को विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर कोलकाता में आयोजित कार्यक्रमों और रिसर्च रिपोर्टों ने शहर और राज्य में अस्थमा की गंभीर स्थिति को उजागर किया. हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को यह दिवस मनाया जाता है. इस बार इस मौके पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा महानगर कोलकाता में कराये गये एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आयी, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है.फेफड़ों में सूजन और वंशानुगत कारण भी जिम्मेदार
फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ धीमान गंगोपाध्याय ने बताया कि अस्थमा फेफड़ों में मौजूद सूक्ष्म वायु नलिकाओं में सूजन के कारण होता है. एलर्जी के कारण इन नलिकाओं की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है. यह स्थिति सांस की तकलीफ, सीने में घरघराहट और रात में नींद में खलल जैसे लक्षणों के रूप में सामने आती है. उन्होंने यह भी कहा कि अस्थमा अक्सर वंशानुगत होता है और यदि परिवार में इसका इतिहास हो तो धूम्रपान से इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है. निष्क्रिय धूम्रपान भी अस्थमा के दौरे का कारण बन सकता है.
डॉ गंगोपाध्याय ने यह भी चेतावनी दी कि जो अस्थमा के मरीज धूम्रपान करते हैं, उनका इलाज मुश्किल हो जाता है. ऐसे मामलों में इनहेलर तक कई बार बेअसर साबित होते हैं.प्रदूषण और एलर्जी भी प्रमुख कारण
दूसरी ओर डॉ अरूप चक्रवर्ती ने वायु प्रदूषण को भी अस्थमा की बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि धूल, धुआं, हवा में तैरते महीन कण, पराग और जानवरों के बाल जैसे एलर्जी कारक अस्थमा को और बढ़ा सकते हैं. समय रहते चेतने की सलाह ः दमदम स्थित आइएलएस अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ मृण्मय मित्रा ने कहा कि अस्थमा एक पुरानी श्वसन स्थिति है, जिसे उचित देखभाल और नियमित दवा के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि शुरुआती लक्षणों को पहचानकर समय रहते निवारक उपाय अपनाना जरूरी है, ताकि प्रभावित व्यक्ति जीवन की अच्छी गुणवत्ता बनाये रख सके.तंबाकू की लत और निष्क्रिय धूम्रपान बना बड़ी वजह
रिपोर्ट के अनुसार बंगाल में 48.1 प्रतिशत लोग तंबाकू के आदी हैं, जिनमें से अधिकतर धूम्रपान करते हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि सिगरेट पीने वालों में युवा महिलाओं और पचास वर्ष की उम्र पार कर चुके लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. सर्वेक्षण प्रस्तुत करने वाले प्रोफेसर डॉ अरूप चक्रवर्ती ने बताया कि कोलकाता में हर 100 में से 38 लोग निष्क्रिय धूम्रपान से प्रभावित हैं. यानी वे खुद धूम्रपान नहीं करते, लेकिन उनके आस-पास धूम्रपान करने वाले लोग मौजूद रहते हैं, जिससे वे अनजाने में इसका दुष्प्रभाव झेलते हैं. डॉ चक्रवर्ती ने बताया कि झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में 75 प्रतिशत घरों में वेंटिलेशन की सुविधा नहीं है, जिससे धुआं घर में ही जमा हो जाता है. ऐसे वातावरण में रहने वाले लोगों में अस्थमा होने का खतरा काफी बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि कोलकाता में हर 100 में से 10 लोग अस्थमा से पीड़ित हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है