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उम्रकैद की सजा पाये तीन कैदी जेल से रिहा

यह सच है कि यदि कोई व्यक्ति वास्तव में परिवर्तन की ठान ले, तो वह अपने अतीत को पीछे छोड़ कर एक नयी शुरुआत कर सकता है.

खड़गपुर. यह सच है कि यदि कोई व्यक्ति वास्तव में परिवर्तन की ठान ले, तो वह अपने अतीत को पीछे छोड़ कर एक नयी शुरुआत कर सकता है. ऐसा ही उदाहरण पेश किया है मेदिनीपुर सेंट्रल जेल के तीन उम्रकैद की सजा पाये कैदियों ने, जिन्हें जेल में अच्छे आचरण और स्टेट सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की सिफारिश के आधार पर रिहा कर दिया गया है. रिहा किये गये कैदियों में रतन रुइदास (55) शामिल है, जो बाराबनी, आसनसोल का निवासी है. वह 23 वर्षों से जेल में बंद था. रतन ने भूमि विवाद को लेकर अपने रिश्तेदार की हत्या कर दी थी. दूसरा साधु राय (65) है, जो पुरुलिया का निवासी है. 21 वर्षों से जेल में बंद साधु राय ने एक झगड़े के दौरान अपने पड़ोसी की हत्या की थी. जेल में रहते हुए वह दृष्टिहीन हो गया. तीसरे कैदी का नाम कृष्णपद कुमार (70) है. वह भी पुरुलिया का ही निवासी है. वह 18 वर्षों से कैद में था और अपने एक पड़ोसी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.

रिहाई के समय भावुक हुए परिजन

तीनों कैदी जब जेल से रिहा होकर अपने परिजनों से मिले, तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा. वर्षों बाद अपनों से मिलना उनके लिए एक नया जीवन पाने जैसा था.

कानूनी प्रक्रिया और पुनर्वास की पहल : जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव और मेदिनीपुर जिला अदालत के सिविल जज, शहीद परवेज ने बताया कि इन कैदियों के अच्छे आचरण और विभिन्न मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए स्टेट सेंटेंस रिव्यू बोर्ड से उनकी रिहाई की सिफारिश की गयी थी, जिसे स्वीकृति मिलने के बाद उन्हें जेल से मुक्त कर दिया गया.

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