कोलकाता.
राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी वृद्धि हुई है. राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई पहल की है. राज्य में बागवानी को उन्नत रोपण सामग्री, उच्च उपज वाले बीज उत्पादन, नर्सरी स्थापित करने, जैविक बागवानी को बढ़ावा देने, कटाई के बाद प्रबंधन, फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण, गुणवत्तापूर्ण पैकेजिंग, कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे के विकास, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन, प्रौद्योगिकी विकास और संरक्षित खेती को बढ़ावा देने आदि के माध्यम से आधुनिक बनाया जा रहा है. ये बातें कोलकाता में एसोचैम द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और बागवानी विभाग के मंत्री अरूप राय ने कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य में पशु आहार, पोल्ट्री आहार और मछली आहार की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले तीन वर्षों में मक्का की खेती का क्षेत्रफल 60,000 हेक्टेयर तक बढ़ाया जायेगा. श्री राय ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कार्यरत 70 फीसदी महिलाएं हैं, इसलिए महिलाओं को कृषि उद्यमियों के रूप में प्रोत्साहित करना महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.सम्मेलन में शामिल उक्त विभाग की सचिव एस महापात्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल कई सब्जियों और फलों का एक प्रमुख उत्पादक है, जहां लगभग 163 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है, जबकि खपत लगभग 95 लाख मीट्रिक टन है. फलों का उत्पादन लगभग 40 लाख मीट्रिक टन है और खपत लगभग 30-35 लाख मीट्रिक टन है. कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और निर्यात विकास में निवेश करके बाकी बचे फलों को अन्य राज्यों और देशों को निर्यात किया जा सकता है.
उन्होंने कहा : हम एकमात्र ऐसा राज्य हैं, जिसके पास हिमालय और समुद्र तट हैं, जो इसे फलों और सब्जियों के उत्पादन के लिए आदर्श माना जाता है. सरकार इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. राज्य में औषधीय पौधों का समृद्ध इतिहास रहा है और आयुर्वेदिक उपचारों में योगदान की अपार संभावनाएं हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 24,213 इकाइयां स्थापित की गयीं, जो कोई छोटी संख्या नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है