कोलकाता.
कलकत्ता उच्च न्यायालय में 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़े मामले पर अहम सुनवाई चल रही है. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ इस मामले पर 18 जुलाई को अपना फैसला सुनायेगी. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान विभिन्न पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा. अधिवक्ता प्रतीक धर ने प्रशिक्षित उम्मीदवारों के एक समूह की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि नियुक्ति के समय लगभग 10,000 अभ्यर्थी अप्रशिक्षित थे, लेकिन उन्होंने 19 अप्रैल, 2019 से पहले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआइओएस) से प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था. उन्होंने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी हवाला दिया. प्रतीक धर ने यह भी कहा कि एकल पीठ द्वारा 12 मई 2023 को सुनाया गया फैसला बहुत कम समय में आया था और उसमें प्रशिक्षुओं का नाम उल्लेखित नहीं था. हालांकि आवेदक भी उस समय प्रशिक्षित नहीं थे और एकल पीठ ने उन्हें अप्रशिक्षित श्रेणी में डाल दिया था. इसके बाद, न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने सवाल उठाया कि क्या नियुक्ति प्रक्रिया के लिए साक्षात्कार और एप्टीट्यूड टेस्ट ठीक से आयोजित किए गये थे? उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि एक न्यायाधीश गवाही नहीं ले सकता, और पूछा कि क्या इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का कोई निर्देश है कि धारा 165 कैसे लागू होगी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता तरुण ज्योति तिवारी ने कहा कि प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित उम्मीदवारों की सही संख्या स्पष्ट नहीं है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आवेदन में यह क्यों नहीं बताया गया था कि योग्यता परीक्षा शुरू से ही ली गयी थी या नहीं और यह मामला बहुत बाद में सामने आया. उन्होंने जोर दिया कि दिव्यांगों की नौकरियों की रक्षा की जानी चाहिए. इस मामले की अगली और अंतिम सुनवाई 18 जुलाई को होगी, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है