कोलकाता. वेस्ट बंगाल मेडिकल काउंसिल के 2022 में हुए चुनाव के दौरा सत्तारूढ़ दल द्वारा समर्थित डॉक्टरों के एक पैनल पर वोट-धांधली और नकली मतपत्र बनाने सहित विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी के आरोप है. आरोप है कि चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान डॉक्टरों को धमका कर उनसे खाली मतपत्र ले लिये गये थे. यही नहीं डॉक्टरों को विभिन्न तरीकों से धमकाया भी गया था. ऐसे विरोधस्वरूप चिकित्सकों के एक संगठन सर्विस डॉक्टर फोरम (एसडीएफ) ने चुनाव का बहिष्कार किया और अदालत चले गये. मंगलवार को इस मामले की सुनवाई में जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी ने कहा कि मतपत्रों सहित सभी सामग्रियों का निरीक्षण किया जायेगा, जिन्हें पहले अदालत की निगरानी में रखा गया था. मेडिकल काउंसिल को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है. यह जानकारी एसडीएफ के महासचिव डॉ सजल विश्वास ने दी. उन्होंने कहा कि हमारा कहना है कि मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार मानस चक्रवर्ती को चुनाव कराने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह चुनाव से पहले ही सेवानिवृत्त हो गये थे. उनका सेवा विस्तार करने का आदेश भी अवैध था. परिणामस्वरूप, एक अवैध चुनाव अधिकारी की देखरेख में चुनाव कैसे वैध हो सकता है? परिणामस्वरूप, यह चुनाव, जिसमें पूरी तरह से धांधली हुई थी, अवैध घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हम देख रहे हैं कि परिषद के सदस्य इस अवैध रूप से निर्वाचित परिषद का उपयोग राज्य भर में चिकित्सा क्षेत्र में एक खतरनाक सिंडिकेट चलाने के लिए कर रहे हैं. परिणामस्वरूप, अभया जैसी घटनाएं घटित हुई हैं.हम इस अवैध परिषद को भंग करने और लोकतांत्रिक तरीकों से नये चुनाव कराने की मांग करते हैं.
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