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भाजपा ने शरणार्थियों के लिए शुरू किया सीएए हेल्पडेस्क

उत्तर 24 परगना के बनगांव सहित मतुआ बहुल इलाकों में लगाये गये शिविर

अगले कुछ महीनों में 1.5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का रखा लक्ष्य

कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की ‘बंगाली अस्मिता’ के विमर्श को कुंद करने और मतुआ मतों को दोबारा अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने राज्य के कुछ हिस्सों में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) हेल्प डेस्क की शुरुआत की है, जो ‘दस्तावेज के बिना नागरिकता आवेदन’ की सुविधा प्रदान करते हैं. भाजपा के इस कदम को 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले शरणार्थी मतदाताओं को लुभाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. ‘सीएए सहयोगिता शिविर’ के नाम से ये हेल्प डेस्क सबसे पहले बागदा में शुरू हुए और अब ये तेजी से बनगांव दक्षिण और उत्तर 24 परगना के अन्य मतुआ बहुल इलाकों में प्रारंभ किये जा रहे हैं. सहायता डेस्क का संदेश स्पष्ट है : पहले आवेदन करें, बाद में सत्यापन. पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा ने इन डेस्क की स्थापना बांग्लादेश से सताये गये हिंदुओं के लिए संजीवनी के रूप में और ममता बनर्जी की पहचान आधारित राजनीति का मुकाबला करने के लिए कर रही है. स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता और मतुआ स्वयंसेवक ऑनलाइन फॉर्म भरने, हलफनामे हासिल करने और आवेदन के प्रमाण के रूप में रसीदें देने में सहायता कर रहे हैं. पिछले महीने ही, राज्य के एक मतुआ परिवार, जो अब महाराष्ट्र में रह रहा है, को पुणे पुलिस ने बांग्लादेशी होने के संदेह में हिरासत में लिया था, जबकि उनके पास पहचान संबंधी दस्तावेज और यहां तक कि केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित अखिल भारतीय मतुआ महासंघ का पहचान पत्र भी था. सीएए नियमों को 2024 में अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सताये गये गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति मिली.

क्या कहा महासंघ के महासचिव ने

महासंघ के महासचिव महितोष बैद्य ने कहा : ये सहायता शिविर सिर्फ शरणार्थी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में लगाये जायेंगे. यह सिर्फ मतुआ समुदाय की बात नहीं है. हर प्रताड़ित हिंदू की इसमें भागीदारी है. अगले कुछ महीनों में हमारा लक्ष्य 1.5 करोड़ लोगों तक पहुंचना है.

भाजपा के एक नेता ने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण पड़ोसी देशों से आये शरणार्थी, जिनमें से अधिकांश के पास कोई दस्तावेज नहीं है, अभी भी सीएए के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

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