कोलकाता.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने सोमवार को दावा किया कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान के तहत 1.26 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिये गये हैं. उन्होंने सरकार को इस मुद्दे पर संसद में बहस की चुनौती भी दी. गोखले ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एसआइआर आंकड़ों को साझा करते हुए कहा कि आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि बिहार में जिन विदेशी नागरिकों के पाये जाने की बात की जा रही थी, उनकी संख्या कितनी है. निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा था कि बिहार में एसआइआर अभियान के पहले चरण के अंतर्गत 7.24 करोड़ यानी 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से फॉर्म प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा लगभग 36 लाख लोग या तो अपने पुराने पतों पर नहीं मिले या पाया गया कि ये लोग स्थायी रूप से अन्यत्र चले गये हैं. आयोग के अनुसार, सात लाख मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाये गये. गोखले ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2024 की लोकसभा मतदाता सूची से रातों-रात 1.26 करोड़ मतदाताओं के नाम हटा दिये. उन्होंने आंकड़ों को अविश्वसनीय और चौंकाने वाले करार देते हुए कहा कि 7.90 करोड़ मतदाताओं में से केवल 7.24 करोड़ से ही फॉर्म लिये गये. यानी 65 लाख मतदाताओं से फॉर्म नहीं लिये गये और संभावना है कि इनके नाम हटाये जा चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 22 लाख मतदाताओं (2.83 प्रतिशत) के नामों को यह दावा कर मतदाता सूची से हटाया गया कि ये लोग अब जीवित नहीं हैं. 36 लाख (4.59 प्रतिशत) मतदाताओं के नाम हटाने के पीछे यह दावा किया गया कि इन लोगों का कोई पता नहीं चल पाया.ख (0.89 प्रतिशत) मतदाताओं के नाम, एक से अधिक प्रविष्टि का पता चलने के बाद हटा दिये गये. इस तरह करीब 3.5 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिये गये.
गोखले ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि विदेशी नागरिकों की संख्या कितनी पायी गयी. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि एसआइआर का उद्देश्य मतदाता सूचियों से अवैध प्रवासियों के नाम हटाना है. गोखले ने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम हटाये गये हैं, वे 2024 के लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची में मौजूद थे. उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची से हटाये गये मतदाताओं की संख्या, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की संयुक्त आबादी के बराबर हैं या पूर्वोत्तर के छह राज्यों (असम को छोड़कर) की कुल आबादी के बराबर है. तृणमूल सांसद ने कहा कि निर्वाचन आयोग को कुछ सवालों के जवाब तत्काल देने की जरूरत है. उन्होंने पूछा :निर्वाचन आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले मतदाता सूची की समीक्षा की थी. फिर एक साल में ही 1.26 करोड़ मतदाता अयोग्य कैसे हो गये? कितने मतदाताओं से फॉर्म नहीं लिये गये और एसआइआर के नियमों के अनुसार, जिनके फार्म नहीं लिए गये, क्या उनके नामों को मतदाता सूची से हटा दिया गया? उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान को दोहराया जिसमें ममता ने कहा था कि यह एसआइआर अभियान दरअसल पिछले दरवाजे से लाया गया एनआरसी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है