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पूजा से बढ़ेगा प्रदेश का आर्थिक ग्राफ, लाखों को मिलेगा रोजगार

पूजा आयोजन से करीब 4.8 करोड़ लोगों की आय में हो सकती है वृद्धि

इस बार कारोबार एक लाख करोड़ के आंकड़े को कर सकता है पार

कोलकाता. बंगाल की सांस्कृतिक पहचान दुर्गापूजा अब राज्य के आर्थिक विकास का मजबूत आधार बन चुकी है. चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार, इस वर्ष दुर्गापूजा के दौरान कारोबार एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर सकता है. पिछले वर्ष यह आंकड़ा 80,000 करोड़ रुपये था.

राज्य भर में पूजा से जुड़े छोटे-बड़े उद्योग, कला, हस्तशिल्प, परिधान और सजावटी वस्तुएं बनाने वाले लाखों लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं. अनुमान है कि इससे करीब 4.8 करोड़ लोगों की आय में सीधा या परोक्ष रूप से वृद्धि होगी. बर्दवान, बांकुड़ा, बीरभूम, नदिया, मेदिनीपुर, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार समेत विभिन्न जिलों के कलाकार, स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं, मूर्तिकार और कारीगर त्योहार से पहले ही उत्पादन में जुट जाते हैं. लगभग 1.5 करोड़ कामगार और महिलाएं कुटीर उद्योगों से जुड़कर अतिरिक्त आय कमा रही हैं.

कला और नवाचार का मेल

थीम कलाकार भवतोष सुतार और कुम्हारटोली के मूर्तिकार परिमल पाल मानते हैं कि अब मंडप सज्जा और मूर्तिकला पारंपरिक ढर्रे से निकलकर रचनात्मक नवाचार का हिस्सा बन चुकी हैं.

पहले जहां मूर्तियां केवल पुआल, बांस व मिट्टी से बनती थीं. अब मुर्शिदाबाद के राजमिस्त्री, मेदिनीपुर के कुम्हार और जंगलमहल के आदिवासी बढ़ई भी इस उद्योग का अहम हिस्सा बन गये हैं.

सरकार की नीतियों का असर

मुख्यमंत्री द्वारा पूजा समितियों को अनुदान दिए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिला है. बंगाल नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यसमिति सदस्य ऋत्विक दास के अनुसार, संगठन से जुड़ी 2,000 से अधिक कंपनियों में से करीब 1,000 कंपनियां और उनके कर्मचारी मुख्यमंत्री की योजनाओं से सीधा लाभ पा रहे हैं. इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष नरेश पचीसिया ने भी मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि अनुदान व सुविधाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है.

अपशिष्ट से आय

कोलकाता के राजाबाजार, खालपार, बेलियाघाटा से लेकर जिलों तक सीमांत श्रमिक अब घरों से पुराने बर्तन व डिब्बे खरीदकर मंडपों में सजावट की सामग्री की आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आजीविका मिल रही है. बता दें कि पिछले डेढ़ दशक में दुर्गापूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राज्य की सामाजिक-आर्थिक प्रगति का वाहक बन गया है. चैंबर ऑफ कॉमर्स का कहना है कि राज्य सरकार की योजनाओं और उद्योगों के सहयोग से करीब 3.5 करोड़ लोगों की आजीविका की राह आसान हुई है.

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