रिजेंट पार्क थाना क्षेत्र के आनंदपल्ली पश्चिम की घटना
संवाददाता, कोलकाताशहर के रिजेंट पार्क इलाके में एक बुजुर्ग व्यक्ति की रहस्यमयी मौत का मामला सामने आया है. बुजुर्ग को घर के कमरे में फंदे से लटके हालत में पाया गया. मृतक का नाम दिलीप साहा (63) बताया गया है. वह रिजेंट पार्क के आनंदपल्ली पश्चिम में रहते थे. वह ढाकुरिया के एक निजी स्कूल में गैर शिक्षण कर्मचारी थे. खबर पाकर रिजेंट पार्क थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. परिवार का दावा है कि दिलीप साहा को पिछले कुछ महीनों से बंगाल में केंद्र सरकार द्वारा एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) लागू करने के बाद बांग्लादेश भेजे जाने का डर सता रहा था.परिवार के सदस्यों का दावा है कि मन ही मन इसी डर से वह परेशान रहा करते थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि एनआरसी लागू होने पर उनके साथ उनके परिवार के सदस्यों को बांग्लादेश भेज दिये जाने के डर से उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला लिया. पुलिस का कहना है कि उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. उसे कब्जे में लेकर उसकी लिखावट की जांच के लिए हैंड राइटिंग एक्सपर्ट के पास जांच के लिए भेजा गया है. जिससे यह पता चल सके कि सुसाइड नोट में लिखावट उनकी (दिलीप साहा) की है या नहीं.
एक सप्ताह से घर से बाहर निकलना कर दिया था बंद:
परिवार के सदस्यों ने दावे से कहा कि दिलीप साहा कई महीनों से बंगाल में एनआरसी लागू होने की दहशत में जी रहे थे. उन्हें लग रहा था कि अगर इस राज्य में एनआरसी लागू हो गया, तो उन्हें बांग्लादेश भेज दिया जायेगा. इसी दहशत के चलते उन्होंने पिछले एक सप्ताह से घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था. वह घर पर ही रहकर टीवी देखते रहते थे. उसके बाद ही कमरे से उसकी लाश बरामद हुई. परिवार का दावा है कि उन्होंने इस राज्य में एनआरसी लागू होने की दहशत के चलते आत्महत्या की है. हालांकि, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इसके पीछे कोई और वजह है या नहीं.बुजुर्ग की मौत की जिम्मेदार भाजपा है : तृणमूल:
रिजेंट पार्क में वृद्ध की अस्वाभाविक मौत की घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला किया है. बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा के आतंक के कारण एक बुजुर्ग को अपनी जान देनी पड़ी. भाजपा शासित प्रदेशों में बांग्ला भाषियों पर लगातार अत्याचार हो रहा है. नागरिक होने का वैध दस्तावेज रहने के बावजूद बांग्ला भाषी लोगों को एनआरसी का नोटिस भेजा जा रहा है. बिजली विभाग के मंत्री अरूप विश्वास ने मृतक के परिजनों से मुलाकात की. उन्हें हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया है.उन्होंने कहा: देश से निकाले जाने का डर किसी व्यक्ति को ऐसा कदम उठाने पर भी मजबूर कर सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है