कोलकाता. अपने कॉलेज के सफर की शानदार शुरुआत करते हुए आइईएम-यूईएम समूह के प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग छात्रों ने सिर्फ़ एक महीने में 300 से ज़्यादा जेनरेटिव एआइ-आधारित एप्लिकेशंस विकसित किये हैं. इस कार्यक्रम, ‘स्पार्क एंड रॉक-2025’ को एक जेनरेटिव एआइ ऐप डेवलपमेंट हैकाथॉन के रूप में डिजाइन किया गया है और इसे पूर्वी भारत में अपने तरह की पहली बड़ी पहल के रूप में सराहा जा रहा है. इसकी खासियत केवल बनाये गये ऐप्स की संख्या ही नहीं थी, बल्कि यह तथ्य भी था कि सभी प्रतिभागी स्कूल से निकले नये छात्र थे, जो अब क्लाउड-आधारित, नो-कोड प्लेटफ़ॉर्म के साथ एआइ टूल्स की खोज कर रहे हैं. आइईएम-यूईएम समूह के निदेशक प्रो. (डॉ) सत्यजीत चक्रवर्ती ने कहा कि इसका उद्देश्य छात्रों को शुरू से ही व्यावहारिक उपकरणों के साथ आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करना है. हमारा मानना है कि ऐसी तकनीकों से शुरुआती परिचय छात्रों को भविष्य के लिए बेहतर ढंग से तैयार करता है. कई छात्रों के लिए, यह ऐप डेवलपमेंट का पहला अनुभव था. प्रदर्शित ऊर्जा, जिज्ञासा और त्वरित सीखने ने स्पार्क एंड रॉक-2025 को एक हैकाथॉन से कहीं बढ़कर बना दिया. यह तकनीकी प्रतिभाओं की एक नयी लहर के लिए एक लाॅन्चपैड बन गया. इस कार्यक्रम में सैकड़ों प्रविष्टियों में से 40 टीमें फ़ाइनल में पहुंचीं. इनमें से तीन टीमों को ऐसे ऐप्स बनाने के लिए पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने वास्तविक दुनिया में मजबूत मूल्य, उपयोग में आसानी और संभावित बाज़ार अपील दिखायी. इस पहल का आयोजन सीएसई (एआईएमएल) विभाग और बेसिक साइंस एंड ह्यूमैनिटीज़ विभाग व डॉ प्रबीर कुमार दास, डॉ अमर्त्य मुखर्जी और डॉ सुदीप्त भट्टाचार्य के नेतृत्व में संयुक्त रूप से किया गया. दोनों विभागों के संकाय सदस्यों ने पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया.
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