शिव कुमार राउत, कोलकाता
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीइआरटी) ने कक्षा 6 के लिए जारी नयी विज्ञान पाठ्यपुस्तक ‘साइंस क्यूरियोसिटी’ में भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली (आइकेएस) को समाहित करते हुए आयुर्वेद के श्लोकों का प्रयोग किया है. पुस्तक के छठे अध्याय ‘हमारे आसपास की सामग्री’ में यह बताया गया है कि वस्तुएं किन-किन प्राकृतिक स्रोतों से बनी होती हैं. इस विषय को बच्चों को सहज ढंग से समझाने के लिए आयुर्वेद ग्रंथ ‘रसरत्न समुच्चय’ (अध्याय 10, श्लोक 3) का प्रयोग किया गया है- उपादानं भवेत्तस्या मृत्तिका लोहमेव च. (रसरत्न समुच्चय–10.3) अर्थात: मषूा या क्रूसिबल जैसे पात्रों को बनाने के लिए मिट्टी और लोहा उपयुक्त सामग्री हैं. इस पुस्तक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) 2023 के अनुसार तैयार किया गया है. इसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान के साथ-साथ पर्यावरण, मूल्य शिक्षा और समावेशी शिक्षा को एकीकृत किया गया है. संस्कृत श्लोकों से गुणधर्मों की समझपुस्तक के 117वें पृष्ठ पर ‘क्वालिटी ऑफ ड्रग्स’ विषय में आयुर्वेदिक अवधारणाओं के माध्यम से पदार्थों के वर्गीकरण को समझाया गया है. इसमें गुणों के वर्गीकरण को दर्शाते हुए एक आयुर्वेदिक श्लोक दिया गया है-
गुरु मन्द हिम स्निग्ध श्लक्ष्ण सान्द्र मृदु स्थिर: गुण: समूक्ष्म विशदा: विंशति: स विपर्यया: इस श्लोक में 20 गुणों (10 विपरीत जोड़ों) का उल्लेख है, जिनके आधार पर भौतिक पदार्थों, पर्यावरण, भोजन और जीवित प्राणियों का विश्लेषण किया जाता है, जैसे- गुरु (भारी) बनाम लघु (हल्का), मंद बनाम तीक्ष्ण (तीव्र), आदि.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है